कोविड वैक्सीन

कोविड वैक्सीन से हार्ट अटैक? सरकार ने बताई सच्चाई, पर सच कुछ और है?

पिछले कुछ समय से हम सबने सोशल मीडिया पर ऐसे कई दिल दहला देने वाले वीडियो देखे हैं, जिनमें नाचते-गाते या जिम करते हुए नौजवान अचानक गिर जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है। इन घटनाओं ने हम सभी के मन में एक डर और एक बड़ा सवाल पैदा कर दिया है – क्या इन अचानक हो रही मौतों का कनेक्शन कोविड वैक्सीन से है?

यह सवाल हर घर में पूछा जा रहा है। कोई कहता है वैक्सीन ही विलेन है, तो कोई इसे सिर्फ एक अफवाह बताता है। इस बीच भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ICMR की रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए एक बड़ा बयान जारी किया है।

तो चलिए, आज इस पूरे मामले की तह तक जाते हैं और जानते हैं कि सरकार का क्या कहना है, एक्सपर्ट्स की क्या राय है, और आपको क्या जानना जरूरी है।

सरकार ने दी क्लीन चिट! कहा – “कोविड वैक्सीन सुरक्षित है”

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा है कि कोविड वैक्सीन और हार्ट अटैक से हो रही मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। सरकार ने अपनी बात को साबित करने के लिए दो बड़ी स्टडीज़ का हवाला दिया है:

  • ICMR और NCDC की रिपोर्ट: इन अध्ययनों के मुताबिक, वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और इसके गंभीर साइड इफेक्ट्स के मामले ना के बराबर हैं।
  • मौत का असली कारण? सरकार का कहना है कि अचानक हो रही मौतों के पीछे लोगों की खराब लाइफस्टाइल, जेनेटिक (आनुवंशिक) कारण, पहले से मौजूद बीमारियां और लॉन्ग-कोविड (कोरोना से ठीक होने के बाद की परेशानियां) जैसे फैक्टर्स ज़िम्मेदार हो सकते हैं।

सीधी भाषा में कहें तो, सरकार के अनुसार कोविड वैक्सीन से हार्ट अटैक का खतरा नहीं बढ़ता है।

तो फिर शक क्यों हो रहा है? सिक्के का दूसरा पहलू

सरकार ने तो अपना पक्ष रख दिया, लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। कुछ बातें ऐसी हैं जो इस दावे पर सवाल खड़े करती हैं:

  1. AstraZeneca ने खुद मानी थी साइड इफ़ेक्ट की बात: आपको याद होगा कि भारत में लगी कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन को एस्ट्राज़ेनेका (AstraZeneca) ने ही बनाया है। इसी कंपनी ने ब्रिटेन की कोर्ट में यह माना था कि उनकी वैक्सीन से कुछ दुर्लभ मामलों में ‘थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम’ (TTS) हो सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें खून के थक्के जमते हैं, जिससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
  2. विशेषज्ञों की अलग राय: कई भारतीय एक्सपर्ट्स और डॉक्टर सरकार की इस ‘क्लीन चिट’ से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि जब बनाने वाली कंपनी खुद साइड इफ़ेक्ट मान रही है, तो भारत में इसका असर न हो, यह कैसे संभव है?
  3. विदेशी स्टडीज़ के अलग नतीजे: यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी के एक शोध में कोविड-19 टीके और मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों में सूजन) के बीच संबंध होने की आशंका जताई गई है, खासकर युवा पुरुषों में।

तो आखिर सच्चाई क्या है? एक्सपर्ट्स से समझिए

डॉक्टरों का कहना है कि दुनिया की कोई भी वैक्सीन 100% साइड इफ़ेक्ट फ्री नहीं होती। लेकिन इसका असर हर देश और हर व्यक्ति पर अलग-अलग हो सकता है। यह हमारी जींस (Genetics) और रहन-सहन पर निर्भर करता है।

अचानक हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है, यह एक सच्चाई है। कन्नड़ एक्टर पुनीत राजकुमार से लेकर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव तक, कई सेलिब्रिटीज इसका शिकार हुए। लेकिन इनमें से किसी भी मामले में मौत का सीधा संबंध वैक्सीन से साबित नहीं हो पाया है।

निष्कर्ष: डरें नहीं, सतर्क रहें!

तो इस पूरी बहस का निचोड़ क्या है? देखिये, भारत सरकार की रिपोर्ट कहती है कि वैक्सीन सुरक्षित है। वहीं, कुछ विदेशी रिपोर्ट्स और एक्सपर्ट्स दुर्लभ साइड इफेक्ट्स की आशंका जताते हैं।

सच शायद इन दोनों के बीच में कहीं है। हो सकता है कि वैक्सीन लाखों में से किसी एक व्यक्ति पर गंभीर असर करती हो, लेकिन ज़्यादातर लोगों के लिए यह सुरक्षित है। यह भी सच है कि कोरोना के बाद लोगों के शरीर में कई तरह के बदलाव आए हैं और हमारी बिगड़ती जीवनशैली (खराब खान-पान, तनाव, नींद की कमी) हार्ट अटैक के मामलों को बढ़ा रही है।

अब आपकी बारी!
इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है? क्या आप सरकार के दावे से सहमत हैं या आपको भी कोविड वैक्सीन को लेकर कोई चिंता है? अपना जवाब नीचे कमेंट्स में हमें ज़रूर बताएं। यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ WhatsApp पर शेयर करना न भूलें, ताकि उन तक भी सही जानकारी पहुँच सके।

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