बिहार अपनी अनूठी राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार मधेपुरा से जो कहानी सामने आई है, वह ‘अजब-गजब’ की सारी सीमाओं को पार कर गई है। यह कहानी सरकारी लापरवाही की एक ऐसी बानगी है, जिसे सुनकर आप हैरान भी होंगे और शायद थोड़ा मुस्कुरा भी देंगे। सोचिए, आप अपने वोटर आईडी कार्ड में पते की एक छोटी सी गलती को ठीक करवाने के लिए आवेदन करें, और जब नया कार्ड घर आए तो पता तो ठीक हो, लेकिन आपकी पहचान ही बदल जाए! आपकी तस्वीर की जगह राज्य के मुख्यमंत्री की तस्वीर लगी हो!
यही हुआ है मधेपुरा की 30 वर्षीय अभिलाषा कुमारी के साथ। उनके नए संशोधित वोटर आईडी कार्ड पर नाम तो उनका है, लेकिन तस्वीर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लगी है। यह सिर्फ एक मामूली गलती नहीं है, बल्कि यह उस पूरी प्रक्रिया पर एक बड़ा सवालिया निशान है, जो देश के नागरिकों को उनका सबसे बड़ा लोकतांत्रिक अधिकार, यानी वोट देने का अधिकार, प्रदान करती है। इस एक गलती ने न केवल अभिलाषा के परिवार को परेशान कर दिया है, बल्कि बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक नया राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर दिया है।
एक गलती सुधरी, तो दूसरी बड़ी गलती हो गई
यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब अभिलाषा कुमारी ने अपने मतदाता पहचान पत्र पर पते की गलती को सुधारने के लिए संबंधित अधिकारियों के पास आवेदन किया था। उनका इरादा सिर्फ इतना था कि उनके सबसे महत्वपूर्ण पहचान पत्रों में से एक पर सही जानकारी दर्ज हो। अधिकारियों ने अपना काम किया भी, पता तो सही कर दिया, लेकिन इस प्रक्रिया में एक पुरानी गलती को एक नई और कहीं ज्यादा बड़ी गलती से बदल दिया।
हाल ही में जब डाकघर के जरिए अभिलाषा को उनका संशोधित वोटर आईडी कार्ड मिला, तो वह और उनके पति चंदन कुमार हैरान रह गए। कार्ड पर नाम, पता और अन्य सभी विवरण बिल्कुल सही थे, लेकिन जहां अभिलाषा की तस्वीर होनी चाहिए थी, वहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक तस्वीर लगी हुई थी।
अभिलाषा कुमारी ने अपनी परेशानी बयां करते हुए कहा, “मैंने अपने वोटर आईडी कार्ड में सुधार के लिए आवेदन किया था, लेकिन जब मुझे यह डाकघर से मिला, तो फोटो बिहार के मुख्यमंत्री की थी।” यह उनके लिए किसी झटके से कम नहीं था। एक सामान्य नागरिक के पहचान पत्र पर राज्य के मुखिया की तस्वीर का होना, व्यवस्था के कामकाज पर एक गंभीर टिप्पणी है।
‘यह गंभीर लापरवाही है, मजाक बना दिया है’ – पति का फूटा गुस्सा
अभिलाषा के पति चंदन कुमार इस घटना से बेहद नाराज और निराश हैं। उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार एजेंसी पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका मानना है कि यह कोई छोटी-मोटी चूक नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ी गलती है, जिसकी जांच होनी चाहिए।
व्यवस्था पर उठाए सवाल
चंदन कुमार ने कहा, “कार्ड पर सब कुछ ठीक था, लेकिन फोटो नीतीश कुमार जी का था। यह सरकार की ओर से की गई लापरवाही को दर्शाता है।” उनका गुस्सा सिर्फ गलती पर नहीं, बल्कि इस बात पर भी है कि इस तरह की लापरवाही को कितनी आसानी से होने दिया गया। उन्होंने कहा, “यह एक गंभीर चूक है। इस तरह की गलती वोटर आईडी तैयार करने वाली एजेंसी या कर्मचारी की लापरवाही को दर्शाती है।” उन्होंने इस मामले की गहन जांच की मांग की है।
नीतीश कुमार की तस्वीर पर भी सवाल
चंदन कुमार ने सिर्फ गलती पर ही नहीं, बल्कि इस्तेमाल की गई तस्वीर पर भी सवाल उठाया। वोटर आईडी पर नीतीश कुमार की जो तस्वीर लगी है, वह उनकी कोई आधिकारिक तस्वीर नहीं है, बल्कि एक कैंडिड तस्वीर है जिसमें वह धूप से अपनी आंखों को बचाते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस पर चंदन कुमार ने तंज कसते हुए कहा, “उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया का मजाक बना दिया है।” यह विवरण इस गलती को और भी हास्यास्पद और गैर-जिम्मेदाराना बना देता है।
क्या गलती छिपाने की हुई कोशिश? BLO पर लगे गंभीर आरोप
मामला यहीं खत्म नहीं होता। अभिलाषा और चंदन का दावा है कि जब वे इस अनियमितता की शिकायत लेकर संबंधित बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के पास गए, तो उन्हें कथित तौर पर इस मामले को दबाने और किसी को न बताने के लिए कहा गया। अगर यह आरोप सच है, तो यह स्थिति को और भी गंभीर बना देता है। यह दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर अधिकारी अपनी गलतियों को सुधारने के बजाय उन्हें छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। यह जवाबदेही की कमी और व्यवस्था के भीतर की खामियों को उजागर करता है।
बिहार चुनाव से पहले बना राजनीतिक मुद्दा
जैसे ही यह बिहार वोटर आईडी गड़बड़ी की खबर सामने आई, इसने तुरंत एक राजनीतिक रंग ले लिया, खासकर इसलिए क्योंकि राज्य में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। विपक्षी दलों को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला करने का एक सुनहरा मौका मिल गया है।
तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इस घटना को “गंभीर प्रशासनिक लापरवाही” बताते हुए एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया: “बिहार से एक चौंकाने वाली और शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां मधेपुरा जिले में एक महिला के वोटर आईडी कार्ड पर उसकी तस्वीर के बजाय सीएम नीतीश कुमार का चेहरा है।”
इस तरह की घटनाएं चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं और विपक्ष को ‘सुशासन’ के दावों पर सवाल उठाने का एक ठोस आधार दे सकती हैं।
यह सिर्फ एक गलती नहीं, बल्कि एक गंभीर चेतावनी है
पहली नजर में यह मामला भले ही हास्यास्पद लगे, लेकिन इसके गहरे और गंभीर निहितार्थ हैं:
- मतदान के अधिकार पर खतरा: क्या इस गलत वोटर आईडी के साथ अभिलाषा कुमारी वोट डाल पाएंगी? क्या कोई और उनकी पहचान का दुरुपयोग कर सकता है? यह उनके मौलिक लोकतांत्रिक अधिकार पर एक सीधा हमला है।
- डेटा सुरक्षा का सवाल: यह घटना नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंताएं पैदा करती है। अगर एक तस्वीर इतनी आसानी से बदली जा सकती है, तो अन्य महत्वपूर्ण जानकारी कितनी सुरक्षित है?
- प्रशासनिक जवाबदेही की कमी: यह दिखाता है कि वोटर आईडी कार्ड बनाने और संशोधित करने जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में कितनी लापरवाही बरती जा रही है और इसमें शामिल लोगों की कोई जवाबदेही नहीं है।
यह बिहार वोटर आईडी गड़बड़ी का मामला सिर्फ एक अकेली घटना नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम के लिए एक वेक-अप कॉल है। यह एक चेतावनी है कि नागरिकों के अधिकारों और उनके डेटा को हल्के में नहीं लिया जा सकता। अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस गलती को सुधारता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाता है, या फिर यह भी बिहार की कई अन्य ‘अजब-गजब’ कहानियों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।