गोपाल खेमका हत्याकांड

बेटे के बाद पिता का भी कत्ल! गोपाल खेमका हत्याकांड में जमीन, साजिश और ‘4 लाख की सुपारी’ का पूरा सच

पटना की सड़कों पर एक और सनसनीखेज हत्याकांड… एक और प्रमुख व्यवसायी की जान ले ली गई… और एक बार फिर, कहानी घूम-फिरकर जमीन और साजिश के उसी काले दलदल में जा फंसी है, जिसने 7 साल पहले इसी परिवार का एक चिराग बुझा दिया था। 65 वर्षीय प्रमुख व्यवसायी गोपाल खेमका की उनके ही बिल्डिंग के गेट के पास, एकदम करीब से सिर में गोली मारकर की गई निर्मम हत्या ने पूरे बिहार को हिलाकर रख दिया है। एक हफ्ते की गहन जांच के बाद, पुलिस ने कथित शूटर उमेश यादव और मास्टरमाइंड अशोक साओ को गिरफ्तार कर केस सुलझाने का दावा तो किया है, लेकिन यह कहानी इतनी सीधी नहीं है जितनी दिख रही है।

इस हत्याकांड की परतें जैसे-जैसे खुल रही हैं, उसमें एक बेटे की अनसुलझी हत्या का दर्द, करोड़ों की जमीन का विवाद, एक केबल ऑपरेटर का कातिल बनना और एक पुलिस एनकाउंटर पर उठते सवाल सामने आ रहे हैं। यह सिर्फ एक कत्ल की कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसे गहरे षड्यंत्र का खुलासा है, जिसमें हर किरदार की अपनी एक भूमिका है। पुलिस के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बल्कि अदालत में इन सभी कड़ियों को जोड़कर एक ऐसी चार्जशीट पेश करना है, जो इंसाफ की कसौटी पर खरी उतर सके।

7 साल, 2 कत्ल: क्या है खेमका परिवार का जमीनी विवाद से कनेक्शन?

गोपाल खेमका हत्याकांड की जांच में पुलिस के सामने जो सबसे बड़ी वजह उभरकर आई है, वह है जमीनी विवाद और पुरानी व्यावसायिक दुश्मनी। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब खेमका परिवार को जमीनी विवाद के कारण खून से लथपथ होना पड़ा है।

बेटे गुंजन खेमका की अनसुलझी हत्या

आज से ठीक सात साल पहले, गोपाल खेमका के 38 वर्षीय बेटे गुंजन खेमका की भी इसी तरह गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गुंजन, जो राज्य बीजेपी के लघु उद्योग प्रकोष्ठ के संयोजक भी थे, को वैशाली जिले के हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र में उनकी फैक्ट्री के गेट के बाहर उनकी ही कार में मार दिया गया था। उस समय भी, पुलिस और परिवार, दोनों ने हत्या के पीछे एक बड़े जमीनी विवाद का हाथ होने की आशंका जताई थी।

एक करीबी पारिवारिक सदस्य के अनुसार, गुंजन ने हाजीपुर-सोनपुर फोर-लेन हाईवे के पास 14 बीघा (लगभग 3.8 लाख वर्ग फुट) का एक बड़ा प्लॉट खरीदा था। इस जमीन की कीमत बहुत तेजी से बढ़ी और सड़क के पास के एक हिस्से पर कथित तौर पर एक भू-माफिया की नजर थी। गुंजन को यह जमीन सौंपने के लिए गंभीर परिणाम भुगतने की धमकियां भी मिली थीं। लेकिन सात साल बीत जाने के बाद भी, उस मामले में कुछ गिरफ्तारियों और रूटीन पुलिस कार्रवाई के अलावा कुछ खास नहीं हुआ, और आरोपी आज जमानत पर बाहर हैं।

पुलिस को शुरू से ही शक था कि गुंजन की तरह, गोपाल खेमका की हत्या भी किसी जमीनी विवाद के चलते ही एक भाड़े के हत्यारे ने की है। और अब, जांच उसी दिशा में आगे बढ़ रही है।

4 लाख की सुपारी और एक केबल ऑपरेटर… कत्ल की पूरी कहानी

पुलिस के अनुसार, गोपाल खेमका को खत्म करने की साजिश आज से करीब डेढ़ महीने पहले ही रच ली गई थी। इसका मास्टरमाइंड था अशोक साओ, जो खुद एक बिल्डर और व्यवसायी है।

मास्टरमाइंड अशोक साओ और शूटर उमेश यादव

पटना के ही रहने वाले अशोक साओ की जान-पहचान उमेश यादव से करीब 18 महीने पहले बिहारशरीफ में एक शादी में हुई थी। 58 वर्षीय उमेश यादव, जो कभी केबल ऑपरेटर और जेनरेटर से बिजली बांटकर अपना गुजारा करता था, कथित तौर पर कुछ समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। अशोक साओ जब भी उसे कोई छोटा-मोटा काम करने के लिए कहता, वह कर देता था। इस बार, साओ ने उसे एक बड़ी रकम का लालच दिया – एक कॉन्ट्रैक्ट किलर को हायर करने का काम।

किराए के कातिल से खुद बन गया कातिल

अशोक साओ ने उमेश यादव को एक शूटर किराए पर लेने के लिए 50,000 रुपये एडवांस दिए और काम पूरा होने पर 3.5 लाख रुपये और देने का वादा किया। यादव ने कथित तौर पर विकास उर्फ राजा नाम के एक स्थानीय शूटर से संपर्क किया, जिसने इस काम के लिए 4 लाख रुपये की मांग की।

यहीं पर कहानी में एक नया मोड़ आया। आर्थिक तंगी से गुजर रहे उमेश यादव ने सोचा कि अगर वह यह काम खुद कर ले, तो पूरी 4 लाख की रकम उसकी हो जाएगी। उसने यह बात अशोक साओ को बताई, और साओ ने भी यह जानते हुए कि उमेश का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, उसे हरी झंडी दे दी।

ऐसे दिया गया हत्याकांड को अंजाम

यह हत्याकांड पूरी योजना के साथ किया गया था।

  • प्लानिंग: साओ ने यादव के लिए एक नया मोबाइल फोन और सिम कार्ड खरीदा ताकि वे दोनों संपर्क में रह सकें। उसने यादव को हथियार और कारतूस भी मुहैया कराए।
  • रेकी: साओ ने खेमका की फोटो, उनके घर का पता, उनकी दिनचर्या और शाम को बैंकipore क्लब जाने और देर रात लौटने का सटीक समय, सब कुछ उमेश को बताया। उमेश यादव ने कई दिनों तक खेमका का पीछा किया ताकि उनकी रूटीन को अच्छी तरह समझ सके। पुलिस अधिकारी ने बताया, “खेमका रात 8 से 8:30 बजे के बीच बैंकipore क्लब पहुंचते थे और आमतौर पर रात 11 से 11:30 बजे के बीच घर के लिए निकलते थे।”
  • हत्या का दिन: 5 जुलाई की देर रात (11.40 बजे), हेलमेट पहने उमेश यादव पहले से ही खेमका की बिल्डिंग के गेट के पास धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहा था। जैसे ही खेमका की SUV पहुंची, वह तेजी से गाड़ी की तरफ दौड़ा, एकदम करीब से गोली चलाई और पास में खड़ी अपनी स्कूटर पर बैठकर फरार हो गया। यह पूरी घटना कुछ ही सेकंड में घट गई।

हत्याकांड को अंजाम देने के बाद, उमेश यादव घर जाकर सो गया। अगली सुबह, साओ ने उसे मल्सलामी थाना क्षेत्र के जेपी गंगा पथ पर बाकी के 3.5 लाख रुपये दिए। यादव ने मोबाइल फोन साओ को लौटा दिया, लेकिन सिम अपने पास रख लिया। पुलिस ने बार-बार सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण करने के बाद यादव के स्कूटर की पहचान की और बाद में उसके मोबाइल फोन के जरिए उसकी लोकेशन ट्रैक कर उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का दावा है कि उन्होंने अपराध में इस्तेमाल किया गया हथियार यादव के घर के एक बंद कमरे से बरामद किया है।

पुलिस की जांच और एक ‘फर्जी’ एनकाउंटर का पेंच?

इस कहानी में एक और किरदार है – विकास उर्फ राजा। पुलिस के मुताबिक, विकास इस मामले के आरोपियों में से एक था। खेमका की हत्या के तीन दिन बाद, मल्सलामी इलाके में एक सुनसान ईंट-भट्टे पर पुलिस के साथ हुई एक मुठभेड़ में वह मारा गया। पुलिस का दावा है कि गिरफ्तारी के बाद विकास ने बताया था कि उसने ईंट-भट्टे पर हथियार छिपा रखे हैं। जब पुलिस उसे वहां ले गई, तो उसने पुलिस पर गोली चला दी और जवाबी फायरिंग में मारा गया।

एनकाउंटर पर उठते सवाल

लेकिन विकास का परिवार इस कहानी को सिरे से खारिज करता है। उसकी मां, जो एक किराए की झोपड़ी में रहती हैं और घरेलू सहायिका का काम करती हैं, का दावा है कि उनका बेटा चेन्नई में काम करता था और अपने टीबी पीड़ित पिता की देखभाल के लिए पटना आया था।
विकास के बीमार पिता ने मीडिया से कहा, “अब हमारी देखभाल कौन करेगा? अगर मेरा बेटा शूटर और अपराधी था, तो देखिए हम कैसे रहते हैं। उसे पुलिस ने एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया, लेकिन हमारी आवाज कौन उठाएगा? हमें कभी न्याय नहीं मिलेगा।”

यह एनकाउंटर गोपाल खेमका हत्याकांड की जांच में एक नया और विवादित पेंच जोड़ता है।

आगे क्या? 200 सवालों की लिस्ट और रिमांड की तैयारी

पुलिस ने उमेश यादव और अशोक साओ को गिरफ्तार कर जेल तो भेज दिया है, लेकिन असली काम अब शुरू हुआ है। पुलिस ने दोनों से पूछताछ के लिए अदालत से दो दिन की रिमांड मांगी है और आमने-सामने की पूछताछ के लिए 200 सवालों की एक लंबी सूची तैयार की है। पुलिस को अभी भी उस सटीक जमीन और अन्य विवादों की पहचान करनी है, जिसके कारण अशोक साओ ने खेमका को मारने के लिए सुपारी दी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “यह आसान नहीं है, मोबाइल फोन की बातचीत के रिकॉर्ड का अध्ययन करना और अशोक के फ्लैट से बरामद जमीन के दस्तावेजों की जांच करना पुलिस के लिए एक चुनौती है।”

यह मामला एक चेतावनी है कि पटना में जमीन का खेल कितना खूनी हो चुका है। अब देखना यह होगा कि क्या पुलिस अदालत में सभी सबूतों को मजबूती से पेश कर पाती है और क्या खेमका परिवार को आखिरकार न्याय मिल पाता है – न सिर्फ गोपाल खेमका के लिए, बल्कि उनके बेटे गुंजन के लिए भी।

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