एयर इंडिया प्लेन क्रैश रिपोर्ट

Air India Flight Crash Report: रिपोर्ट ने दिए जवाब या खड़े किए और भी गहरे सवाल? जानें विशेषज्ञों की नजर से हर पहलू

पिछले महीने अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस दर्दनाक हादसे की गुत्थी सुलझाने के लिए हर कोई एयरक्रॉफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) Aircraft Accident Investigation Bureau की शुरुआती जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहा था। अब यह रिपोर्ट सामने आ गई है, और इसने हादसे से जुड़ी कुछ अहम परतों को खोला है। रिपोर्ट का सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद विमान के दोनों इंजनों में ईंधन की आपूर्ति बंद हो गई थी, क्योंकि फ्यूल कट-ऑफ स्विच ‘रन’ से ‘कट-ऑफ’ पोजीशन में चले गए थे।

लेकिन क्या यह रिपोर्ट उन सभी सवालों के जवाब देती है जो इस हादसे के बाद उठे थे? या यह जवाब देने के बजाय कई नए और गहरे सवाल पैदा करती है? हमने हवाई जहाज से जुड़े मामलों के कई विशेषज्ञों से बात की और इस रिपोर्ट का विश्लेषण किया। उनका मानना है कि यह रिपोर्ट अधूरी है, इसमें और पारदर्शिता की जरूरत थी, और यह कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर खामोश है। आइए, इस Air India Flight Crash Report के हर पहलू को विशेषज्ञों की नजर से समझते हैं।

सबसे बड़ा सवाल: ‘फ्यूल कट-ऑफ स्विच’ खुद कैसे कटा?

रिपोर्ट आने के बाद से ही ‘फ्यूल कट-ऑफ स्विच’ शब्द चर्चा के केंद्र में है। आखिर यह स्विच क्या है और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

  • क्या होता है फ्यूल कंट्रोल स्विच? हवाई जहाज मामलों के विशेषज्ञ संजय लज़ार के अनुसार, “यह स्विच विमान के इंजनों में ईंधन की सप्लाई को नियंत्रित करता है। इसे ‘कट-ऑफ’ करने का मतलब है इंजन तक ईंधन का पहुंचना बंद हो जाना, जिससे इंजन बंद हो जाते हैं।”
  • इमरजेंसी में क्यों होता है इस्तेमाल? एविएशन एक्सपर्ट कैप्टन शक्ति लुंबा बताते हैं, “यह एक सेफ्टी फीचर है। जैसे, अगर इंजन में आग लग जाए, तो यही स्विच ईंधन की आपूर्ति बंद करता है ताकि आग और न फैले। ऐसी हालत में कंप्यूटर इसे ऑटोमेटिक रूप से कंट्रोल करता है।”

लेकिन इस मामले में न तो आग लगने की कोई सूचना थी, न ही कोई और इमरजेंसी। तो फिर सवाल उठता है कि टेकऑफ के सबसे महत्वपूर्ण क्षण में यह स्विच ‘कट-ऑफ’ पोजीशन में कैसे चला गया? क्या यह किसी तकनीकी खराबी का नतीजा था या मानवीय भूल? रिपोर्ट इस सबसे बड़े सवाल पर एक रहस्यमयी चुप्पी साध लेती है।

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Photo Credit : REUTERS

हादसे से ठीक पहले कॉकपिट में क्या हुआ था?

AAIB की रिपोर्ट ने कॉकपिट के अंदर की कुछ झलकियां दी हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं।

  • इंजन का बंद होना: रिपोर्ट के मुताबिक, विमान ने 1 बजकर 38 मिनट और 42 सेकंड पर 180 नॉट्स की अधिकतम स्पीड हासिल की। ठीक इसके बाद, सिर्फ 1 सेकंड के अंतर पर दोनों इंजनों के फ्यूल कट-ऑफ स्विच ‘रन’ से ‘कट-ऑफ’ पोजीशन में चले गए।
  • पायलटों की आखिरी बातचीत: कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) में एक पायलट को दूसरे से यह पूछते हुए सुना गया कि उसने स्विच ‘कट-ऑफ’ क्यों किया। दूसरे पायलट ने जवाब दिया कि उसने ऐसा नहीं किया।

यह बातचीत दिखाती है कि दोनों पायलट इस घटना से हैरान थे और उन्हें पता नहीं था कि आखिर हो क्या रहा है। एविएशन एक्सपर्ट कैप्टन मोहन रंगनाथन कहते हैं, “जो बात सबसे ज्यादा साफ है, वह यह है कि फ्यूल स्विच को ‘कट-ऑफ’ किया गया था। लेकिन यह कैसे हुआ, इस सिलसिले में रिपोर्ट साफ नहीं बताती है।”

CVR (Cockpit Voice Recorder) की अधूरी कहानी: क्यों नहीं जारी किया पूरा ट्रांसक्रिप्ट?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस गुत्थी को सुलझाने की सबसे बड़ी चाबी कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) के पास थी, लेकिन रिपोर्ट ने इसकी पूरी जानकारी साझा नहीं की।

  • अधूरी जानकारी: कैप्टन रंगनाथन कहते हैं, “उनके पास CVR है। वह साफ तौर पर पहचान सकता है कि किस पायलट की आवाज कौन सी है। जब आप किसी भयानक हादसे की रिपोर्ट बनाते हैं तो आपको इन चीजों के बारे में साफ-साफ बताना चाहिए।”
  • पारदर्शिता की कमी: संजय लज़ार कहते हैं, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि AAIB ने पूरा CVR ट्रांसक्रिप्ट जारी नहीं किया।”

एक अधूरी ट्रांसक्रिप्ट इस हादसे पर और भी गहरे संदेह पैदा करती है। क्या कुछ ऐसा है जिसे छिपाने की कोशिश की जा रही है?

क्या इस हादसे को टाला जा सकता था? ‘मेमोरी आइटम’ और ‘सर्विस बुलेटिन’ का सच

कैप्टन शक्ति लुंबा एक और अहम पहलू की ओर ध्यान दिलाते हैं।

  • ‘सर्विस बुलेटिन’ की अनदेखी: उन्होंने बताया कि इन फ्यूल स्विच से जुड़ा एक ‘सर्विस बुलेटिन’ (तकनीकी सलाह) पहले ही जारी हो चुका था। “एयर इंडिया ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि यह बाध्यकारी नहीं होती। हालांकि, ऐसी किसी भी सलाह या चेतावनी पर हर एयरलाइन को ध्यान देना चाहिए।” क्या यह एक बड़ी लापरवाही थी?
  • ‘मेमोरी आइटम’ का इस्तेमाल न होना: कैप्टन लुंबा कहते हैं, “एविएशन में इमरजेंसी के लिए कुछ काम याद रखकर होते हैं, जिन्हें ‘मेमोरी आइटम’ कहते हैं। दोनों इंजन के फेल होने की सूरत में, ‘मेमोरी आइटम’ यह था कि फ्यूल स्विच को ऑफ करके दोबारा ऑन (रीसाइकिल) करना चाहिए।” क्या पायलटों के पास ऐसा करने का समय था? या वे इतने हैरान थे कि यह कदम नहीं उठा पाए? रिपोर्ट इन सवालों का भी जवाब नहीं देती।

अन्य महत्वपूर्ण बिंदु जिन पर रिपोर्ट ने डाली रोशनी (या नहीं?)

  • पायलट फिट थे: रिपोर्ट के अनुसार, दोनों पायलट और क्रू उड़ान के लिए पूरी तरह से फिट थे। उन्हें पर्याप्त आराम मिला था और ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट में भी वे पास हुए थे।
  • ईंधन की क्वालिटी सही थी: फ्यूल सैंपल की जांच में भी कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई, जिससे ईंधन में मिलावट की आशंका खारिज हो जाती है।
  • रैम एयर टर्बाइन (RAT) का एक्टिव होना: जब विमान के दोनों इंजन बंद हो गए, तो इमरजेंसी पावर के लिए रैम एयर टर्बाइन अपने आप एक्टिव हो गई। सीसीटीवी फुटेज में भी यह दिखा है।
  • एयर इंडिया का बयान: एयर इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा है कि वह ‘प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है’ और जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग कर रही है। कंपनी ने रिपोर्ट के किसी भी विशेष विवरण पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

विशेषज्ञों की नजर में रिपोर्ट: जवाब कम, सवाल ज्यादा

अधिकांश विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि यह रिपोर्ट निराशाजनक है।

  • संजय लज़ार: “इस रिपोर्ट से सवाल ज्यादा उठते हैं, जवाब कम मिलते हैं।”
  • कैप्टन मोहन रंगनाथन: “जब आप किसी रिपोर्ट की शुरुआत अस्पष्ट और गोलमोल भाषा से करते हैं तो उसके भरोसेमंद होने पर सवाल उठने लगते हैं।”
  • बोइंग और GE को क्लीन चिट? संजय लज़ार इस बात पर भी सवाल उठाते हैं कि AAIB ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट में ही यह कैसे कह दिया कि विमान निर्माता बोइंग या इंजन निर्माता जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के बारे में कोई सिफारिश नहीं है। उनके मुताबिक, “ऐसा कहना उन्हें जिम्मेदारी से पूरी तरह मुक्त कर देना है।”

हालांकि, कुछ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों जैसे पीटर गोएल्ज़ ने रिपोर्ट की विस्तृत प्रकृति के लिए AAIB की तारीफ भी की है, लेकिन भारतीय विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं दिखते।

आगे का रास्ता: और गहरी जांच की जरूरत

यह साफ है कि एयर इंडिया प्लेन क्रैश रिपोर्ट ने इस हादसे की गुत्थी को सुलझाने के बजाय और उलझा दिया है। अब जरूरत है एक और भी गहरी और पारदर्शी जांच की। पूरा CVR डेटा सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि पता चल सके कि कॉकपिट में उस आखिरी क्षण में वास्तव में क्या हुआ था। यह जानना बेहद जरूरी है कि वह कौन सी वजह थी, जिसके कारण टेकऑफ के तुरंत बाद दोनों इंजनों में ईंधन की कमी हो गई और वे फेल हो गए। जब तक इन सवालों के साफ और ईमानदार जवाब नहीं मिलते, तब तक इस हादसे के शिकार हुए लोगों और उनके परिवारों को सच्चा न्याय नहीं मिल पाएगा।

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