8th Pay Commission

8th Pay Commission 2025 : आपकी सैलरी में उछाल लाने वाले ‘फिटमेंट फैक्टर’ का पूरा गणित समझिए, A to Z

देश के एक करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए सबसे बड़ी खबर आ चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 8th Pay Commission के गठन को मंजूरी दे दी है। यह खबर उन लाखों परिवारों के लिए उम्मीद की एक नई किरण लेकर आई है, जो हर दस साल में होने वाले इस बड़े बदलाव का बेसब्री से इंतजार करते हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल द्वारा इस साल की शुरुआत में की गई इस घोषणा के बाद से ही, हर किसी के मन में बस एक ही सवाल है – इस बार हमारी सैलरी कितनी बढ़ेगी?

इस सवाल का जवाब एक ‘जादुई शब्द’ में छिपा है, जिसका नाम है- फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor)। यह एक ऐसा पैमाना है जो तय करता है कि आपकी नई बेसिक सैलरी क्या होगी और आपके हाथ में आने वाला पैसा कितना बढ़ेगा। लेकिन यह फिटमेंट फैक्टर आखिर होता क्या है? यह कैसे काम करता है? और 7वें वेतन आयोग में इसका क्या असर हुआ था? आइए, 8वां वेतन आयोग से जुड़े हर पहलू और फिटमेंट फैक्टर के इस पूरे खेल को आसान भाषा में समझते हैं।

क्या है 8th Pay Commission और यह क्यों है इतना महत्वपूर्ण?

वेतन आयोग या पे कमीशन (Pay Commission) एक ऐसी समिति होती है, जिसका गठन केंद्र सरकार द्वारा आमतौर पर हर 10 साल में किया जाता है। इसका मुख्य काम होता है:

  • केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी की समीक्षा करना।
  • उनके भत्तों (Allowances) और पेंशन स्ट्रक्चर में बदलाव की सिफारिश करना।
  • महंगाई, देश की आर्थिक स्थिति और कर्मचारियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक नया वेतन ढांचा तैयार करना।

सरकार ने आयोग के गठन को मंजूरी तो दे दी है, लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं हुई है, जिसका सभी को इंतजार है।

सबसे बड़ा सवाल: यह ‘फिटमेंट फैक्टर’ आखिर है क्या?

फिटमेंट फैक्टर को आप एक ‘मल्टीप्लायर’ या एक ‘गुणांक’ समझ सकते हैं। यह वह चाबी है जो आपकी मौजूदा बेसिक सैलरी को नए वेतनमान में फिट करती है। जब भी कोई नया वेतन आयोग अपनी सिफारिशें देता है, तो वह एक फिटमेंट फैक्टर तय करता है। इसी फैक्टर को आपकी मौजूदा बेसिक पे (मूल वेतन) से गुणा करके आपकी नई बेसिक पे तय की जाती है।

यह फैक्टर तय करते समय आयोग कई बातों का ध्यान रखता है, जैसे:

  • पिछले 10 सालों में बढ़ी महंगाई दर।
  • कर्मचारियों की बदलती जरूरतें।
  • सरकार की वित्तीय क्षमता और खजाने पर पड़ने वाला बोझ।

मौजूदा समय में, केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन 7वें वेतन आयोग के फिटमेंट फैक्टर पर आधारित है, जो 2016 में लागू हुआ था।

7वें वेतन आयोग से समझें फिटमेंट फैक्टर का पूरा गणित

8वें वेतन आयोग को समझने के लिए, हमें पहले 7वें वेतन आयोग के उदाहरण को देखना होगा।

  • 7वें वेतन आयोग का फिटमेंट फैक्टर: 7वें वेतन आयोग ने 2.57 का फिटमेंट फैक्टर तय किया था।
  • क्या इसका मतलब सैलरी 2.57 गुना बढ़ गई? नहीं! यह सबसे बड़ी गलतफहमी है। इसका मतलब यह नहीं था कि आपकी कुल सैलरी 2.57 गुना हो गई। यह फिटमेंट फैक्टर सिर्फ आपकी बेसिक पे पर लागू हुआ था।
  • कैसे हुआ था कैलकुलेशन: 7वें वेतन आयोग के लागू होने से पहले, कर्मचारियों की जो भी बेसिक पे थी, उसे 2.57 से गुणा किया गया, और जो रकम आई, वह नए पे-मैट्रिक्स में उनकी नई बेसिक पे बन गई। इसी के आधार पर न्यूनतम बेसिक पे को ₹18,000 किया गया था।
  • असली बढ़ोतरी कितनी थी? हालांकि फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, लेकिन वेतन के हिस्से में वास्तविक बढ़ोतरी 14.3 प्रतिशत थी।

DA (महंगाई भत्ता) का खेल: क्यों हो जाता है जीरो?

यह एक और महत्वपूर्ण बात है। जब भी कोई नया वेतन आयोग लागू होता है, तो महंगाई भत्ता (Dearness Allowance – DA) को शून्य (Zero) कर दिया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नई बेसिक पे तय करते समय पिछले सालों की महंगाई को पहले ही उसमें शामिल कर लिया जाता है। DA का मकसद ही बढ़ती महंगाई से कर्मचारियों को राहत देना होता है। जब बेसिक पे ही महंगाई के हिसाब से एडजस्ट हो गई, तो पुराने DA की जरूरत खत्म हो जाती है। उम्मीद है कि 8वें वेतन आयोग के तहत भी ऐसा ही होगा।

आपकी सैलरी का स्ट्रक्चर: बेसिक पे, DA, HRA का कितना है हिस्सा?

एक सरकारी कर्मचारी की कुल सैलरी कई हिस्सों से मिलकर बनती है। एंबिट इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसका स्ट्रक्चर कुछ इस प्रकार है:

  • बेसिक सैलरी (Basic Pay): यह कुल आय का सबसे बड़ा हिस्सा, लगभग 51.5% होती है।
  • महंगाई भत्ता (DA): यह लगभग 30.9% होता है।
  • मकान किराया भत्ता (HRA): यह करीब 15.4% होता है।
  • यात्रा भत्ता (Transport Allowance): इसका हिस्सा लगभग 2.2% होता है।

8वें वेतन आयोग से कितनी बढ़ेगी सैलरी?

एंबिट इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में 30% से 34% तक की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

सरकार पर कितना पड़ेगा बोझ?

इस 30-34% की बढ़ोतरी का मतलब है कि सरकार के खजाने पर लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यह एक बहुत बड़ी रकम है, और यही वजह है कि फिटमेंट फैक्टर तय करते समय सरकार की वित्तीय क्षमता को बहुत गंभीरता से लिया जाता है।

किसे और कब मिलेगा इसका फायदा?

इस बड़े फैसले का असर देश के एक बहुत बड़े वर्ग पर पड़ेगा।

  • कौन हैं लाभार्थी?
    • लगभग 44 लाख से 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी, जिसमें रक्षा कर्मी भी शामिल हैं।
    • लगभग 65 लाख से 68 लाख केंद्रीय पेंशनभोगी, जिसमें रक्षा सेवानिवृत्त भी शामिल हैं।
    • कुल मिलाकर, एक करोड़ से भी ज्यादा लोगों को इसका सीधा फायदा मिलेगा।

यह भारत की 60 करोड़ की श्रम शक्ति का केवल 0.7% है, लेकिन यह औपचारिक क्षेत्र (Formal Sector) का लगभग 9% हिस्सा है, जो इसे अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण बनाता है।

क्या है टाइमलाइन?

  • सिफारिशें कब आएंगी? उम्मीद है कि 8वां वेतन आयोग अपनी सिफारिशें 2025 के अंत तक सरकार को सौंप देगा।
  • लागू कब से होगा? ये सिफारिशें 1 जनवरी, 2026 से प्रभावी होने की उम्मीद है।
  • पैसा हाथ में कब आएगा? हालांकि, रिपोर्ट को अंतिम रूप देने, सरकार द्वारा उसे स्वीकार करने और लागू करने की पूरी प्रक्रिया में समय लगता है। इसलिए, वास्तविक रोलआउट वित्तीय वर्ष 2027 (FY27) में होने की संभावना है।

अब जब कैबिनेट ने 8वें वेतन आयोग के गठन को हरी झंडी दे दी है, तो देश के करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की निगाहें इसकी आधिकारिक अधिसूचना और फिर आयोग की सिफारिशों पर टिकी हैं। यह तय है कि आने वाले दो साल उनके लिए उम्मीदों और इंतजार से भरे होंगे।

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