एक समय की बात है…
हरियाले जंगल में एक बेहद चालाक लोमड़ी रहती थी, जिसका नाम था झपटी। वह अपनी चालाकी के लिए पूरे जंगल में मशहूर थी। कभी खरगोश को बेवकूफ बनाकर गाजर खा लेती, तो कभी बंदर को मीठी बातों में उलझाकर केले ले उड़ती।
एक दिन झपटी को जंगल की झाड़ियों के बीच कुछ चमकता हुआ दिखा।
“यह क्या है?” उसने सोचा और पास जाकर देखा।
वो थी एक सोने की घड़ी, जिसकी सूइयां एकदम रुकी हुई थीं।
उसने सोचा, “वाह! अब मैं इस घड़ी को बेचकर ढेर सारे चिकन रोल खा सकती हूँ!”
लेकिन जैसे ही उसने उसे उठाया, एक पत्थर पर खुदा हुआ संदेश दिखा:
“यह घड़ी तभी चलेगी, जब कोई इसके पास खड़े होकर सच्चाई बोलेगा।”
झपटी हँस पड़ी, “सच्चाई और मैं? मज़ाक है क्या?”
फिर भी उसने कोशिश की।
पहली बार कहा:
“मैं सबसे सुंदर जानवर हूँ!”
घड़ी नहीं चली।
फिर कहा:
“मैं सबसे दयालु हूँ!”
घड़ी टस से मस नहीं हुई।
अब झपटी थोड़ी परेशान हो गई।
फिर बोली:
“ठीक है… मैं दूसरों को बेवकूफ बनाकर उनकी चीजें चुरा लेती हूँ।”
टिक… टिक… टिक… घड़ी चल पड़ी!
झपटी चौंकी, लेकिन फिर मुस्कराई।
“ओह! तो सच्चाई में सचमुच ताकत है!”
उस दिन के बाद, झपटी ने अपनी आदतें बदल दीं। वह अब चालाकी का उपयोग सुलझाने और मदद करने में करने लगी। और जंगल में सब उसे अब “बुद्धिमान झपटी” के नाम से जानते थे।
🌟 सीख:
“सच्चाई बोलने में हिम्मत चाहिए, लेकिन वही सबसे बड़ी ताकत है।”