एयर इंडिया हादसा

‘क्या इसे टाला जा सकता था?’: एयर इंडिया हादसे की रिपोर्ट के बाद पीड़ित परिवारों के अनसुलझे सवाल

जब कोई अपना एक भयानक हादसे में दुनिया छोड़ जाता है, तो परिवार के लिए सबसे मुश्किल होता है ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे सवालों के साथ जीना। पिछले महीने अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के बाद से, कई परिवार इसी दर्द और अनिश्चितता के साथ जी रहे थे। उन्हें जांच रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार था, इस उम्मीद में कि शायद उन्हें कुछ जवाब मिलेंगे, कुछ सुकून मिलेगा। लेकिन जब शुक्रवार देर रात हादसे की शुरुआती जांच रिपोर्ट सामने आई, तो यह उनके लिए सुकून नहीं, बल्कि और भी गहरे सवाल और निराशा लेकर आई।

यह रिपोर्ट, जो तकनीकी ब्योरों से भरी है, उन परिवारों के लिए किसी पहेली जैसी है जिन्होंने इस हादसे में अपनों को खो दिया है। यह कहानी उन टूटे हुए दिलों की है, जो अब भी न्याय और जवाब की तलाश में हैं। एयर इंडिया हादसा पीड़ित परिवार के लिए यह रिपोर्ट सिर्फ कुछ पन्ने नहीं, बल्कि उनके भविष्य के अनसुलझे सवालों का एक दस्तावेज बन गई है। आइए, जानते हैं कि इस रिपोर्ट पर उनकी पहली प्रतिक्रिया क्या है और वे किन सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं।

‘यह किसी उत्पाद के ब्योरे जैसी थी’ – इम्तियाज अली की निराशा

इम्तियाज अली के लिए यह रिपोर्ट एक बहुत बड़ी उम्मीद थी। इस हादसे में उन्होंने अपने भाई, भाभी और उनके दोनों बच्चों, यानी एक पूरे परिवार को खो दिया था। जब रिपोर्ट आई, तो उन्होंने इसे बहुत ध्यान से पढ़ा, इस आस में कि शायद उन्हें पता चलेगा कि उनके अपनों के साथ आखिरी पलों में क्या हुआ था।

लेकिन रिपोर्ट पढ़ने के बाद उनकी उम्मीदें टूट गईं। वह कहते हैं, “इस रिपोर्ट से मुझे निराशा हुई क्योंकि पढ़ने में ये किसी उत्पाद के ब्योरे जैसा था।” उनकी आवाज में दर्द और हताशा साफ झलकती है।

जवाब की तलाश, जो अब भी अधूरी है

इम्तियाज का मानना है कि रिपोर्ट में पायलटों के बीच हुई आखिरी वक्त की बातचीत के अलावा, ऐसा कुछ भी नहीं है जो दुर्घटना के असल कारण की ओर कोई ठोस इशारा करता हो। रिपोर्ट में यह तो बताया गया है कि विमान के ‘फ्यूल कट-ऑफ स्विच’ बंद हो गए थे, लेकिन वे क्यों और कैसे बंद हुए, इस सबसे बड़े सवाल पर रिपोर्ट खामोश है।

वह कहते हैं, “हमारे लिए यह जानना महत्वपूर्ण है। हम जानना चाहते हैं कि असल में क्या हुआ था। इससे हमारे लिए कुछ नहीं बदलेगा, हम अपने परिजनों की मौत का दुख वैसे ही मनाते रहेंगे जैसा पहले मना रहे थे। लेकिन कम से कम हमें कुछ सवालों के जवाब तो मिल जाएंगे।” उनकी यह बात हर उस परिवार का दर्द बयां करती है, जो सिर्फ यह जानना चाहता है कि उनके प्रियजनों के साथ ऐसा क्यों हुआ।

‘माफी मांगेंगे? सब कुछ तो खत्म हो गया’ – श्वेता परिहार का दर्द और गुस्सा

41 साल की श्वेता परिहार के लिए यह रिपोर्ट शायद ही कोई मायने रखती है। इस हादसे ने उनसे उनके पति अभिनव परिहार को छीन लिया, जो लंदन वापस जा रहे थे। किस्मत का खेल देखिए, अभिनव को महीने के आखिर में लौटना था, लेकिन उन्होंने जल्दी लौटने का फैसला किया और इसी विमान का टिकट ले लिया।

श्वेता का दर्द उनके गुस्से में झलकता है। वह सवाल करती हैं, “जांच में वे लोग क्या करेंगे, हमें बताएंगे कि हादसा कैसे हुआ? कितने लोगों की जिंदगी चली गई, 250 यात्रियों की जिंदगी, वो क्या कहेंगे, माफी मांगेंगे? जो होना था हो गया, सब कुछ खत्म हो गया।” उनके लिए कोई भी जांच या रिपोर्ट उनके पति को वापस नहीं ला सकती।

एक बच्चे का डर, जो शायद कभी खत्म न हो

श्वेता जब अपने 11 साल के बेटे विहान पर इस हादसे के असर के बारे में बात करती हैं, तो उनकी आवाज भर आती है। वह कहती हैं, “उसे अपने पिता की बहुत याद आती है।” यह हादसा सिर्फ एक पति को नहीं, बल्कि एक बच्चे से उसके पिता का साया भी छीन ले गया है।

वह बताती हैं कि विहान अब इतना डर गया है कि वह उनसे कहता है कि वह अब कभी एयर इंडिया के प्लेन से कहीं नहीं जाएगा। यह सिर्फ एक बच्चे का डर नहीं, बल्कि एक हादसे का वो गहरा जख्म है जो शायद कभी नहीं भरेगा और हमेशा एयर इंडिया के नाम के साथ उसके जेहन में जिंदा रहेगा।

‘इसका क्या मतलब है?’ – बाडासाब सैयद की उलझन और बढ़ते सवाल

एयर इंडिया हादसा
जावेद अली और मरियम अपने बेटे ज़ायन और छोटी बेटी अमानी (गोद में ली हुई) के साथ विमान हादसे का शिकार हो गए। दुर्भाग्य से, चारों की मौत हो गई।

इस विमान हादसे में अपने भाई, भाभी और उनके दोनों बच्चों को खोने वाले 59 वर्षीय बाडासाब सैयद भी रिपोर्ट से बेहद निराश और भ्रमित हैं। उन्हें उम्मीद थी कि रिपोर्ट से उनके मन में चल रहे सवालों के जवाब मिलेंगे, लेकिन अब उनके मन में और भी सवाल हैं।

वह कहते हैं, “रिपोर्ट में बताया गया है कि पायलटों के बीच बातचीत हुई थी कि फ्यूल के स्विच को किसने बंद किया है और इसमें फ्यूल कंट्रोल स्विच में संभावित समस्या का जिक्र है। हमें नहीं पता, इसका क्या मतलब है? क्या हादसे को टाला जा सकता था?” यह एक ऐसा सवाल है जो हर पीड़ित परिवार पूछ रहा है। क्या यह एक ऐसी त्रासदी थी जिसे रोका जा सकता था?

एक परिवार की ‘दिल की धड़कन’ खो गई

बाडासाब अपने छोटे भाई इनायत सैयद को याद करते हुए कहते हैं कि वह परिवार के दिल की धड़कन थे। उनके जाने से पूरा परिवार टूट गया है। उनकी 83 साल की मां, बीबी साब के लिए यह सदमा सह पाना लगभग नामुमकिन हो गया है। वह कहते हैं, “अपने बेटे और पोते-पोती को खोने के बाद अब वह बहुत कमजोर हो गई हैं। मुझे लगता है कि वह ये भी नहीं बता पा रहीं कि वह कैसा महसूस कर रही हैं।”

रिपोर्ट की खामोशी और परिवारों की तलाश

यह स्पष्ट है कि AAIB की शुरुआती रिपोर्ट एयर इंडिया हादसा पीड़ित परिवार को संतुष्ट करने में पूरी तरह से नाकाम रही है। यह रिपोर्ट तकनीकी विवरणों पर ध्यान केंद्रित करती है, लेकिन मानवीय पहलू और जवाबदेही के सवालों को अनुत्तरित छोड़ देती है।

  • क्यों बंद हुआ फ्यूल स्विच? रिपोर्ट यह तो कहती है कि फ्यूल सप्लाई बंद हो गई, लेकिन यह नहीं बताती कि ऐसा क्यों हुआ। क्या यह तकनीकी खराबी थी, मानवीय भूल थी, या कोई और कारण था?
  • अधूरी बातचीत: रिपोर्ट में पायलटों की बातचीत का सिर्फ एक अंश दिया गया है। पूरी बातचीत सामने क्यों नहीं रखी गई, यह भी एक बड़ा सवाल है।
  • न्याय की लंबी लड़ाई: अब इन परिवारों की सारी उम्मीदें एक साल बाद आने वाली फाइनल रिपोर्ट पर टिकी हैं। लेकिन तब तक, उन्हें अपने दर्द और इन अनसुलझे सवालों के साथ ही जीना होगा।

इस हादसे में 242 यात्रियों में से 241 और जमीन पर 19 लोगों की जान गई थी। यह सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि ये वो जिंदगियां हैं जिनके पीछे कई परिवार, कई कहानियां और कई सपने थे। इन परिवारों को सिर्फ मुआवजा नहीं, बल्कि सच और न्याय चाहिए। और यह सच उन्हें तभी मिलेगा जब जांच एजेंसियां पारदर्शिता के साथ हर सवाल का साफ और सीधा जवाब देंगी।

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