हर साल लाखों श्रद्धालु, मन में अटूट आस्था और ‘जय भोले’ का जयघोष लिए, हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों को पार कर बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यह सिर्फ एक तीर्थयात्रा नहीं, बल्कि विश्वास, साहस और आध्यात्मिकता की एक कठिन परीक्षा है। लेकिन इस पवित्र यात्रा पर हमेशा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का काला साया भी मंडराता रहता है। इसी खतरे को भेदने और हर एक श्रद्धालु की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय सेना ने इस साल एक अभूतपूर्व और विशाल सुरक्षा अभियान शुरू किया है, जिसका नाम है- ‘ऑपरेशन शिवा 2025’।
यह सिर्फ एक ऑपरेशन का नाम नहीं, बल्कि एक ऐसा अभेद सुरक्षा चक्र है, जिसे जमीन से लेकर आसमान तक, तकनीक से लेकर सैनिकों की तैनाती तक, हर स्तर पर इतना मजबूत बनाया गया है कि कोई भी दुश्मन ताकत इसे भेदने की हिम्मत न कर सके। इस मिशन में सेना, नागरिक प्रशासन और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं कि ‘ऑपरेशन शिवा’ के तहत अमरनाथ यात्रा 2025 को सुरक्षित बनाने के लिए क्या-क्या खास इंतजाम किए गए हैं।
आखिर क्या है ‘Operation Shiva 2025’?
‘ऑपरेशन शिवा’ भारतीय सेना द्वारा चलाया जा रहा एक बहु-आयामी सुरक्षा मिशन है, जिसका एकमात्र मकसद Amarnath Yatra 2025 को पूरी तरह से सुरक्षित, शांतिपूर्ण और निर्बाध बनाना है।
- मुख्य उद्देश्य: सेना ने शुक्रवार को बताया कि इस ऑपरेशन का मुख्य लक्ष्य यात्रा के दोनों मार्गों – उत्तरी (बालटाल) और दक्षिणी (पहलगाम) – पर सुरक्षा को अभेद बनाना है।
- पाकिस्तान पर पैनी नजर: पाकिस्तान की तरफ से आने वाले किसी भी संभावित खतरे को देखते हुए इस ऑपरेशन को और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सेना सीमा पार होने वाली हर हरकत पर पैनी नजर रख रही है।
- त्रि-स्तरीय सुरक्षा: यह ऑपरेशन सेना, नागरिक प्रशासन और CAPF के बीच एक आदर्श समन्वय का उदाहरण है, जहाँ हर एजेंसी अपनी विशेषज्ञता के अनुसार काम कर रही है ताकि सुरक्षा में कोई भी चूक न हो।
ज़मीन पर सुरक्षा का ‘मानव कवच’: 8,500 आधुनिक हथियारों से लैस सैनिक
किसी भी ऑपरेशन की असली ताकत उसके जवान होते हैं। ‘ऑपरेशन शिवा’ के तहत लगभग 8,500 सैनिकों को यात्रा की सुरक्षा में तैनात किया गया है।
- आतंकवाद-रोधी ग्रिड: इन सैनिकों का पहला और सबसे महत्वपूर्ण काम आतंकवादियों को यात्रा मार्गों के पास फटकने से भी रोकना है। इसके लिए एक मजबूत काउंटर-टेररिज्म ग्रिड बनाया गया है।
- रास्तों की सुरक्षा: सैनिक न केवल संवेदनशील इलाकों में तैनात हैं, बल्कि वे पूरे यात्रा मार्ग की सुरक्षा भी कर रहे हैं, ताकि श्रद्धालु बिना किसी डर के आगे बढ़ सकें।
- आधुनिक हथियार: ये सभी सैनिक आधुनिक हथियारों और संचार उपकरणों से लैस हैं, ताकि किसी भी स्थिति में तुरंत और प्रभावी कार्रवाई की जा सके।
आसमान से भी नज़र: ड्रोन और हाई-टेक कैमरों का अभेद जाल
इस साल की सुरक्षा का सबसे बड़ा आकर्षण तकनीक का अभूतपूर्व इस्तेमाल है। सेना ने जमीन के साथ-साथ आसमान से भी दुश्मनों पर नजर रखने के लिए एक अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली तैयार की है।
ड्रोन: आतंकियों के लिए काल, यात्रियों के लिए निगरानी
सिर्फ सैनिक ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में मानव रहित विमान (UAVs) यानी ड्रोन भी लगातार यात्रा मार्गों और पवित्र अमरनाथ गुफा पर 24×7 नजर रख रहे हैं। ये ड्रोन न केवल संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखते हैं, बल्कि दुर्गम इलाकों की निगरानी में भी मदद करते हैं।
ड्रोन हमला? सेना की ‘Kill and Jam’ रणनीति तैयार
सेना सिर्फ निगरानी ही नहीं कर रही, बल्कि दुश्मन के ड्रोन से होने वाले खतरों से निपटने के लिए भी पूरी तरह तैयार है।
- एंटी-ड्रोन सिस्टम: संवेदनशील स्थानों पर खास एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किए गए हैं, जो दुश्मन के ड्रोन को हवा में ही मार गिराने या उसके सिग्नल को जाम करके उसे निष्क्रिय करने में सक्षम हैं।
- विशेषज्ञ टीमें: इस काम के लिए सिग्नल कंपनियां (कम्युनिकेशन के लिए), EME (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग) की तकनीकी टुकड़ियां और बम निरोधक दस्ते हर समय तैयार हैं।
चप्पे-चप्पे पर कैमरे और लाइव ट्रैकिंग
- PTZ कैमरे: पूरे यात्रा मार्ग पर हाई-रिज़ॉल्यूशन वाले PTZ (Pan-Tilt-Zoom) कैमरे लगाए गए हैं, जो दूर तक की गतिविधियों को भी साफ-साफ रिकॉर्ड कर सकते हैं।
- लाइव व्हीकल ट्रैकिंग: जम्मू और अमरनाथ गुफा के बीच यात्रा करने वाले सभी वाहनों पर लाइव ट्रैकिंग सिस्टम लगाया गया है, ताकि हर एक गाड़ी की लोकेशन पर रियल-टाइम में नजर रखी जा सके।
सिर्फ़ सुरक्षा नहीं, सेवा भी: मेडिकल और लॉजिस्टिक्स की अभूतपूर्व तैयारी
‘ऑपरेशन शिवा’ का मकसद सिर्फ सुरक्षा देना नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की सेवा करना भी है। अमरनाथ गुफा समुद्र तल से 12,000 फीट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर है, जहाँ तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है और ऑक्सीजन की कमी होती है। इन चुनौतियों को देखते हुए, मेडिकल सेवाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
12,000 फीट की ऊंचाई पर 100 बेड का अस्पताल
- डॉक्टरों की फौज: 150 से ज्यादा डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की एक बड़ी टीम तैनात की गई है।
- मेडिकल सुविधाएं: यात्रियों के लिए दो एडवांस ड्रेसिंग स्टेशन, नौ मेडिकल चौकियां, और एक 100 बेड का अस्पताल बनाया गया है।
- ऑक्सीजन की व्यवस्था: सबसे महत्वपूर्ण, 26 ऑक्सीजन बूथ बनाए गए हैं, जिनमें 200,000 लीटर ऑक्सीजन का विशाल भंडार रखा गया है, ताकि सांस लेने में तकलीफ होने पर किसी भी यात्री को तुरंत मदद मिल सके।
किसी भी आपदा से निपटने को तैयार सेना
पहाड़ों में मौसम कभी भी बदल सकता है, जिससे भूस्खलन या अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बना रहता है। इससे निपटने के लिए भी सेना ने पुख्ता इंतजाम किए हैं।
- भोजन का भंडार: खराब मौसम के कारण सप्लाई बाधित होने की आशंका को देखते हुए, पहले से ही 25,000 लोगों के लिए भोजन का सामान जमा कर लिया गया है।
- इमरजेंसी टीमें: क्विक रिएक्शन टीम्स (QRTs), टेंट सिटी, पानी के ठिकाने, और बुलडोजर जैसी भारी मशीनें हर समय तैयार रखी गई हैं।
- हेलीकॉप्टर स्टैंडबाय पर: किसी भी मेडिकल इमरजेंसी या आपदा की स्थिति में तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर स्टैंडबाय पर हैं।
‘ऑपरेशन शिवा’ विश्वास और सुरक्षा का एक संगम है। यह भारतीय सेना का देश के लोगों को दिया गया एक आश्वासन है कि जब आप आस्था की इस कठिन यात्रा पर निकलेंगे, तो आपकी सुरक्षा के लिए देश के सबसे जांबाज बेटे हर कदम पर, हर मोड़ पर, हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार खड़े मिलेंगे। इस अभेद सुरक्षा चक्र के साथ, अमरनाथ यात्रा 2025 के शांतिपूर्ण और सफल होने की पूरी उम्मीद है।