भगवंत मान का बयान

JCB की खुदाई देखने वाली भीड़ PM Modi के दौरे से बड़ी? Bhagwant Mann के बयान पर क्यों मचा सियासी भूचाल

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन देशों की यात्रा पर गए थे, उनकी आबादी से ज़्यादा यहां लोग जेसीबी की खुदाई देखने के लिए जुट जाते हैं।”

यह सिर्फ एक लाइन नहीं, बल्कि एक ऐसा राजनीतिक तीर है, जो सीधे देश के प्रधानमंत्री पर साधा गया है। यह टिप्पणी की है पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने, और इसके बाद से भारतीय राजनीति में एक नया तूफान खड़ा हो गया है। गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया गया यह तंज इतना तीखा था कि कुछ ही घंटों में इसकी गूंज दिल्ली के रायसीना हिल्स तक पहुंच गई और खुद विदेश मंत्रालय को इस पर एक सख्त बयान जारी करना पड़ा।

यह मामला अब सिर्फ एक बयानबाजी तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह केंद्र और राज्य के बीच टकराव, एक मुख्यमंत्री के संवैधानिक पद की गरिमा और विदेश नीति पर राजनीतिक कटाक्ष की सीमाओं को लेकर एक बड़ी बहस बन गया है। भारतीय जनता पार्टी ने भगवंत मान पर “कॉमेडियन की भूमिका” निभाने का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग कर दी है। वहीं, भगवंत मान भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और उन्होंने विधानसभा में अपने बयान को दोहराते हुए इसे अपना ‘हक’ बताया है। आखिर भगवंत मान का बयान इतना तूल क्यों पकड़ गया? उन्होंने ऐसा क्या और क्यों कहा? और विदेश मंत्रालय को इस पर आपत्ति क्यों है? आइए, इस पूरे विवाद को विस्तार से समझते हैं।

आखिर भगवंत मान ने कहा क्या था?

गुरुवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान अपनी नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। जब उनसे पंजाब में पानी की समस्या पर एक सवाल पूछा गया, तो उन्होंने जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया विदेश यात्रा पर तंज कस दिया।

उनका अंदाज पूरी तरह से व्यंग्यात्मक था। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री जी कहां गए हुए हैं, घाना गए हुए हैं?… आज आ गए हैं? चलो, चलो देश में वेलकम करेंगे उनका। पता नहीं कौन-कौन सी कंट्री जाते हैं — मैग्नेसिया, गलवेशिया, तरवेशिया। पता नहीं कहां-कहां जा रहे हैं।”

अपने तंज को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, “जहां (भारत) 140 करोड़ लोग रह रहे हैं, वहां रह नहीं रहे हैं वो। जिस कंट्री में जा रहे हैं, उसकी आबादी कितनी, दस हजार। वहां का सबसे बड़ा अवॉर्ड मिल गया। दस हजार लोग तो भाईसाहब जेसीबी देखने के लिए खड़े हो जाते हैं यहां। जेसीबी चल रही है ओय जेसीबी।”

यह टिप्पणी सीधे तौर पर प्रधानमंत्री के विदेश दौरे और वहां मिले सम्मानों को कम आंकने की एक कोशिश थी। बात यहीं खत्म नहीं हुई, उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 11 साल में कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की है, जबकि वह (भगवंत मान) लगभग हर रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, जो सीधे तौर पर पीएम की संवाद शैली पर एक हमला था।

‘गैर-जिम्मेदाराना और खेदजनक’: विदेश मंत्रालय का कड़ा पलटवार

भगवंत मान का बयान सोशल मीडिया पर वायरल होते ही केंद्र सरकार की ओर से पहली और सबसे सधी हुई प्रतिक्रिया विदेश मंत्रालय की तरफ से आई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए, बिना भगवंत मान का नाम लिए, एक बेहद कड़ा और नपा-तुला बयान जारी किया।

जायसवाल ने कहा, “हमने एक उच्च सरकारी पदाधिकारी की ओर से भारत के ग्लोबल साउथ के मित्र देशों के साथ संबंधों को लेकर की गई कुछ टिप्पणियां देखी हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “ये टिप्पणियां गैर-जिम्मेदाराना और खेदजनक हैं, और उस पद की गरिमा के अनुरूप नहीं हैं, जिस पर वह व्यक्ति आसीन है। भारत सरकार ऐसी अनुचित टिप्पणियों से खुद को पूरी तरह अलग करती है, जो भारत और उसके मित्र देशों के रिश्तों को कमजोर करती हैं।”

विदेश मंत्रालय की इस प्रतिक्रिया के कई गहरे मायने हैं:

  1. नाम न लेना: सीधे तौर पर भगवंत मान का नाम न लेकर ‘उच्च सरकारी पदाधिकारी’ कहना, एक तरह से कूटनीतिक तरीके से यह संदेश देना था कि उनका बयान उनके पद की गरिमा के लायक नहीं है।
  2. मित्र देशों का जिक्र: मंत्रालय ने इसे सिर्फ पीएम का अपमान नहीं, बल्कि ‘ग्लोबल साउथ के मित्र देशों’ का अपमान बताया। यह उन छोटे देशों के सम्मान की रक्षा करने का एक प्रयास था, जिनकी आबादी का मजाक उड़ाया गया था।
  3. सरकार का किनारा करना: “भारत सरकार ऐसी टिप्पणियों से खुद को अलग करती है,” यह कहकर मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह स्पष्ट कर दिया कि यह भारत का आधिकारिक रुख नहीं है, बल्कि एक राज्य के नेता का व्यक्तिगत बयान है।

‘कॉमेडियन वाला रोल छोड़ें’: BJP का तीखा हमला

पीएम मोदी को ब्राज़ील का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया गया | Photo Credit : X/@PMOIndia

जहाँ विदेश मंत्रालय ने कूटनीतिक भाषा का इस्तेमाल किया, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भगवंत मान पर सीधा और तीखा हमला बोला।

  • शाहनवाज हुसैन का तंज: बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा, “प्रधानमंत्री जी का दौरा ऐसे देशों में हुआ, जहां भारत को बहुत सम्मान मिला और भारत की नीतियों पर मुहर लगी। यह देश के लिए बहुत बड़ी बात है। लेकिन भगवंत मान कॉमेडियन थे और अभी तक कॉमेडियन का लबादा ओढ़े हुए हैं।” उन्होंने कहा कि मान को यह समझना चाहिए कि मुख्यमंत्री पद पर कॉमेडी नहीं होती।
  • इस्तीफे की मांग: बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए कहा कि भगवंत मान को देश से माफी मांगनी चाहिए और तुरंत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए।

बीजेपी ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय सम्मान और संवैधानिक पद की गरिमा से जोड़कर भगवंत मान को पूरी तरह से घेरने की कोशिश की है।

बयान पर बवाल के बाद विधानसभा में और गरजे मान

इस चौतरफा हमले के बाद उम्मीद की जा रही थी कि शायद भगवंत मान अपने बयान पर सफाई देंगे या खेद जताएंगे। लेकिन हुआ इसके ठीक उल्टा। भगवंत मान ने पंजाब विधानसभा में न केवल अपना जेसीबी वाला बयान दोहराया, बल्कि इसे अपना अधिकार बताते हुए केंद्र सरकार पर और तीखे सवाल दागे।

उन्होंने विधानसभा में कहा, “मुझे हक नहीं है क्या कि मैं प्रधानमंत्री से विदेश नीति के बारे में पूछ सकूं? आप किन-किन देशों में जाते हो और बाद में क्या ये देश हमारा साथ देते हैं? पाकिस्तान के साथ संबंध खराब हुए तो एक भी देश ने आपका साथ दिया? तो क्यों आधी दुनिया घूमते फिर रहे हो?”

इस तरह, उन्होंने अपने व्यंग्यात्मक तंज को विदेश नीति पर जवाबदेही मांगने के एक गंभीर सवाल में बदल दिया। उन्होंने यह जताने की कोशिश की कि वह सिर्फ मजाक नहीं कर रहे थे, बल्कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं की सार्थकता पर सवाल उठा रहे थे।

विवाद के केंद्र में PM मोदी का विदेश दौरा

त्रिनिदाद एवं टोबैगो में सम्मानित होते पीएम मोदी
त्रिनिदाद एवं टोबैगो में सम्मानित होते पीएम मोदी | Photo Credit : X/@PMOIndia

यह समझना भी जरूरी है कि भगवंत मान किस दौरे का जिक्र कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 से 9 जुलाई, 2025 तक आठ दिनों के भीतर पांच देशों की एक लंबी यात्रा की थी। ये देश थे: घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील (जहां उन्होंने ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लिया) और नामीबिया।

यह यात्रा भारत के लिए बेहद सफल मानी जा रही थी। इस दौरे में पीएम मोदी को चार देशों से उनके सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त हुए। इन सम्मानों के साथ, 2014 से अब तक पीएम मोदी को मिले कुल अंतरराष्ट्रीय सम्मानों की संख्या 27 हो चुकी है, जो किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री के लिए एक रिकॉर्ड है। भगवंत मान का तंज सीधे तौर पर इन्हीं उपलब्धियों और सम्मानों पर एक कटाक्ष था।

यह सिर्फ भगवंत मान का हमला नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी पीएम की वापसी पर तंज कसते हुए ‘लिखा ‘X’ पर लिखा था कि “भारत अपने सुपर प्रीमियम फ्रीक्वेंट फ्लायर प्रधानमंत्री का स्वागत करता है,” और उम्मीद जताई थी कि “शायद अब उन्हें दो साल से इंतजार कर रहे मणिपुर जाने का समय मिल जाए।”

यह घटना दिखाती है कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्राएं जहाँ एक तरफ सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि और राष्ट्रीय गौरव का विषय हैं, वहीं विपक्ष के लिए यह उन पर हमला करने और देश के आंतरिक मुद्दों की याद दिलाने का एक मौका बन जाती हैं। भगवंत मान का बयान इसी राजनीतिक खींचतान का एक ताजा और तीखा उदाहरण है, जिसने विदेश नीति जैसे गंभीर विषय को भी सियासी अखाड़े में ला खड़ा किया है।

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