Common University Entrance Test यानी CUET की परीक्षा पास करने के बाद ऐसा लगता है मानो आधी जंग जीत ली गई हो। लेकिन हकीकत यह है कि असली जद्दोजहद तो अब शुरू होती है। लाखों छात्र और उनके माता-पिता एक ही उलझन में फंस जाते हैं – अब आगे क्या? कौन सा कॉलेज चुनें? कौन सा कोर्स बेहतर रहेगा? और अगर मनचाहे कॉलेज में दाखिला नहीं मिला तो क्या एक और साल बर्बाद करना सही है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो हर CUET एस्पिरेंट के मन में घूम रहे होते हैं।
इस उलझन भरे रास्ते पर आपका मार्गदर्शन करने के लिए, हमने कुछ शीर्ष करियर काउंसलर्स से बात की ताकि आपको यह तय करने में मदद मिल सके कि आप अपने लिए बेस्ट कॉलेज या बेस्ट कोर्स में सीट कैसे सुरक्षित कर सकते हैं। जानकारों का मानना है कि सही प्रक्रिया की समझ और कट-ऑफ ट्रेंड का विश्लेषण ही इस चक्रव्यूह से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता है। आइए, इस पूरी प्रक्रिया को स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं।
दाखिले से पहले इन बातों का रखें ध्यान: सबसे बड़े फैक्टर क्या हैं?
CUET का रिजल्ट आने के बाद, हर यूनिवर्सिटी अपनी कट-ऑफ लिस्ट जारी करती है। आपका स्कोर ही यह तय करता है कि आप अपनी पसंद के कॉलेज या कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन कर सकते हैं या नहीं। लेकिन सिर्फ स्कोर ही सब कुछ नहीं है।
लगभग 20 सालों का अनुभव रखने वालीं करियर काउंसलर तुलिका कपूर कृष्णा के अनुसार, छात्रों को सिर्फ बड़े नाम वाले कॉलेज के पीछे नहीं भागना चाहिए, बल्कि उन्हें एक ऐसे कॉलेज की तलाश करनी चाहिए जहाँ वे वास्तव में ‘फिट’ हों।
दाखिले से पहले खुद से पूछें ये 5 सवाल:
- क्या कोर्स में मेरी सच्ची रुचि है? क्या मैं सिर्फ इसलिए यह कोर्स चुन रहा हूँ क्योंकि यह लोकप्रिय है, या मुझे वाकई इसमें दिलचस्पी है?
- क्या मेरा अकादमिक रिकॉर्ड इस विषय में अच्छा रहा है? क्या मैंने स्कूल में इस विषय में अच्छा प्रदर्शन किया है?
- क्या कॉलेज की फैकल्टी अच्छी है? क्या उस कॉलेज में इस कोर्स को पढ़ाने वाले शिक्षक अनुभवी और जानकार हैं?
- कॉलेज का माहौल कैसा है? क्या वहां का माहौल पढ़ाई के लिए अनुकूल है? क्या वहां अनुशासन और एक सकारात्मक संस्कृति है?
- प्लेसमेंट का रिकॉर्ड कैसा है? क्या उस कॉलेज से इस कोर्स को करने के बाद अच्छी नौकरियां मिलती हैं?
ये सभी सवाल आपको एक बेहतर और सूचित निर्णय लेने में मदद करेंगे।
सबसे बड़ी दुविधा: कोर्स को प्राथमिकता दें या कॉलेज को?
यह एक ऐसा सवाल है जो हर छात्र को परेशान करता है। कई बार आपको अपनी पसंद का कोर्स तो मिल रहा होता है, लेकिन कॉलेज उतना प्रतिष्ठित नहीं होता। वहीं, कभी-कभी देश के टॉप कॉलेज में एक ऐसा कोर्स मिल रहा होता है जिसमें आपकी कोई रुचि नहीं होती। ऐसे में क्या करें?
इस पर लगभग सभी एक्सपर्ट्स एकमत हैं। उनका मानना है कि छात्रों को हमेशा कॉलेज की ब्रांडिंग से ज्यादा कोर्स को प्राथमिकता देनी चाहिए।
क्यों है कोर्स ज्यादा महत्वपूर्ण?
- डिग्री की वैल्यू: सेंटर फॉर करियर डेवलपमेंट के संस्थापक जितिन चावला कहते हैं, “हर स्टूडेंट को टॉप आठ-नौ कॉलेजों के नाम पता होते हैं और सबका मन उन्हीं में दाखिला लेने का होता है। लेकिन आपको यह ध्यान में रखना चाहिए कि डिग्री सबकी एक जैसी ही होती है।” उदाहरण के लिए, दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) की डिग्री पर किसी कॉलेज का नाम नहीं लिखा होता, वह सभी के लिए समान होती है।
- रुचि का महत्व: तुलिका कपूर कृष्णा कहती हैं, “हमेशा कोर्स को कॉलेज से ऊपर रखना चाहिए। क्योंकि आप ऐसी डिग्री का क्या करेंगे, जिसमें न तो आपकी रुचि है और आप उसमें कुछ अच्छा भी नहीं कर पा रहे।”
- स्किल्स का जमाना: जितिन चावला जोर देकर कहते हैं, “आजकल स्किल्स का जमाना है। आपकी एक मजबूत प्रोफाइल सिर्फ कॉलेज के नाम से नहीं, बल्कि आपके द्वारा सीखी गई स्किल्स से बनती है।”
कैसे बनाएं अपनी प्रोफाइल मजबूत?
आप किसी भी कॉलेज में हों, आप इन तरीकों से अपनी प्रोफाइल को मजबूत बना सकते हैं:
- इंटर्नशिप करें: अपने कोर्स से संबंधित इंटर्नशिप करने से आपको प्रैक्टिकल अनुभव मिलता है।
- एक्स्ट्रा-करिकुलर एक्टिविटीज में हिस्सा लें: इससे आपकी लीडरशिप और टीमवर्क स्किल्स विकसित होती हैं।
- ऑनलाइन कोर्स करें: अगर आप बिजनेस पढ़ रहे हैं, तो आप साथ में डिजिटल मार्केटिंग का कोर्स कर सकते हैं। अगर आपकी रुचि फाइनेंस में है, तो आप बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के इंस्टीट्यूट से कोई प्रोग्राम कर सकते हैं।
अगर पहली कट-ऑफ लिस्ट में नाम न आए तो क्या करें?
दिल्ली यूनिवर्सिटी समेत कई बड़े विश्वविद्यालयों की पहली कट-ऑफ लिस्ट जल्द ही आने वाली है। लेकिन अगर आपका नाम पहली लिस्ट में नहीं आता है, तो निराश होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। आपके पास अभी भी कई बेहतरीन विकल्प मौजूद हैं।
जितिन चावला सलाह देते हैं, “अगर पहली लिस्ट में नाम नहीं आता है तो दूसरी यूनिवर्सिटीज देखिए। आंबेडकर यूनिवर्सिटी है, आईपी यूनिवर्सिटी है। कई प्राइवेट यूनिवर्सिटीज हैं, दूसरे राज्यों की यूनिवर्सिटीज देखिए।”
उदाहरण के लिए, मुंबई में लगभग 100 कॉलेजों में बिजनेस मैनेजमेंट स्टडीज का विकल्प है, जबकि दिल्ली में यह विकल्प कम है। इसलिए, अपने विकल्पों का दायरा बढ़ाना और सिर्फ एक ही यूनिवर्सिटी पर निर्भर न रहना एक स्मार्ट कदम है।
CUET में कम स्कोर आया है? क्या एक और साल इंतजार करना सही है?
यह एक बहुत ही व्यक्तिगत निर्णय है, लेकिन ज्यादातर एक्सपर्ट्स एक और साल इंतजार करने यानी ‘ड्रॉप’ लेने की सलाह नहीं देते हैं।
- मिले हुए मौके को न गंवाएं: तुलिका कपूर का कहना है कि अगर कम स्कोर की वजह से आपको अपनी पसंद का कोर्स नहीं मिल रहा, लेकिन यूनिवर्सिटी अच्छी मिल रही है, तो आपको फिलहाल एडमिशन ले लेना चाहिए। “मिली हुई सीट को बर्बाद नहीं करना चाहिए।”
- पढ़ाई के साथ प्रोफाइल बढ़ाएं: जितिन चावला भी यही मानते हैं कि कम स्कोर पर भी छात्रों को पढ़ाई शुरू कर देनी चाहिए। वे साथ-साथ कुछ एक्स्ट्रा कोर्स करके अपनी प्रोफाइल को और मजबूत बना सकते हैं।
निष्कर्ष: अंतिम लक्ष्य क्या है?
अंत में, तुलिका कपूर याद दिलाती हैं कि सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आपके करियर का लक्ष्य क्या है। “शिक्षा का आधार यह होता है कि हम वो पढ़ें, जिससे करियर में अच्छा करें। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो फिर किसी बात का फायदा नहीं।”
CUET सिर्फ एक परीक्षा है, आपकी जिंदगी का अंत नहीं। एक अच्छा स्कोर महत्वपूर्ण है, लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है सही कोर्स का चुनाव करना और अगले तीन साल तक कड़ी मेहनत करके अपनी स्किल्स को बढ़ाना। याद रखिए, एक गुमनाम कॉलेज का एक मेहनती छात्र, एक टॉप कॉलेज के एक औसत छात्र से कहीं ज्यादा सफल हो सकता है। इसलिए, बुद्धिमानी से चुनें और अपने भविष्य की नींव को मजबूत बनाएं।