Fatty Liver

फैटी लिवर: सेहत का साइलेंट किलर! जानें लक्षण

क्या आप जानते हैं कि आपके शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग, लिवर, एक खामोश खतरे का सामना कर रहा है? इस खतरे का नाम है ‘फैटी लिवर’। यह एक ऐसी स्थिति है जब लिवर की कोशिकाओं में ज़रूरत से ज़्यादा वसा यानी फैट जमा हो जाता है। आमतौर पर लिवर में थोड़ी मात्रा में फैट होना सामान्य है, लेकिन जब यह फैट लिवर के कुल वज़न का 10% से अधिक हो जाता है, तो इसे ‘फैटी लिवर’ माना जाता है। भारत में यह समस्या एक महामारी का रूप ले रही है, जिसका मुख्य कारण हमारी बदलती जीवनशैली और खान-पान की गलत आदतें हैं।

क्यों है यह एक ‘साइलेंट किलर’?

शुरुआत में फैटी लिवर से कोई खास नुकसान नहीं होता और इसके लक्षण भी दिखाई नहीं देते। यही वजह है कि इसे ‘साइलेंट’ या खामोश बीमारी कहा जाता है। लेकिन अगर इस पर ध्यान न दिया जाए, तो यह अतिरिक्त फैट लिवर में सूजन पैदा कर सकता है। इस स्थिति को ‘स्टिएटोहेपेटाइटिस’ (Steatohepatitis) कहते हैं।

जब यह सूजन लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह लिवर को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती है। लिवर की कोशिकाएं सख्त होने लगती हैं और उनमें घाव (फाइब्रोसिस) बन जाते हैं। यह बीमारी की एक गंभीर स्थिति है, जिसे ‘सिरोसिस’ (Cirrhosis) कहा जाता है, और यह लिवर फेलियर का कारण बन सकती है।

फैटी लिवर के मुख्य प्रकार

दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. पीयूष रंजन के अनुसार, फैटी लिवर रोग मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है:

  • अल्कोहॉलिक फैटी लिवर: यह अत्यधिक शराब के सेवन के कारण होता है।
  • नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर (NAFLD): यह उन लोगों में होता है जो शराब नहीं पीते या बहुत कम पीते हैं। इसका मुख्य कारण मोटापा, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और खराब जीवनशैली है। आज के समय में यह सबसे आम प्रकार है।

फैटी लिवर के तीन खतरनाक स्तर (ग्रेड)

फैटी लिवर की गंभीरता को तीन ग्रेड में बांटा गया है, जो बताते हैं कि स्थिति कितनी बिगड़ चुकी है।

ग्रेड 1 (हल्का फैटी लिवर)

यह सबसे शुरुआती और हल्की अवस्था है। इसमें लिवर की लगभग 33% कोशिकाओं में फैट जमा होता है। आमतौर पर इसके कोई लक्षण नहीं दिखते। अच्छी खबर यह है कि जीवनशैली में सही बदलाव, एक्सरसाइज और स्वस्थ खान-पान से इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।

ग्रेड 2 (मध्यम फैटी लिवर)

इस चरण में, लिवर की 34% से 66% कोशिकाओं में फैट जमा हो जाता है। इस स्थिति में थकान, पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में भारीपन या हल्का दर्द जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। यह एक चेतावनी है। अगर यहां जीवनशैली में सुधार नहीं किया गया, तो यह गंभीर लिवर रोग में बदल सकता है।

ग्रेड 3 (गंभीर फैटी लिवर)

यह सबसे एडवांस और खतरनाक चरण है। इसमें लिवर की 66% से अधिक कोशिकाओं में फैट जमा हो चुका होता है। इस स्थिति में सूजन (स्टिएटोहेपेटाइटिस), घाव (फाइब्रोसिस) और यहां तक कि सिरोसिस के लक्षण भी दिख सकते हैं, जिसके लिए तुरंत मेडिकल इलाज की जरूरत होती है।

जब लिवर में ज्यादा फैट जमा हो जाता है तो इंसुलिन के प्रति
संवेदनशीलता कम हो जाती है. ऐसे में टाइप-2 डाइबिटीज़ का
ख़तरा बढ़ जाता है क्योंकि ऐसे लोगों का लिवर इंसुलिन के
संकेतों को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता है.
डॉ. पीयूष रंजन
सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली

कौन हैं इसके सबसे बड़े शिकार? (जोखिम के कारण)

डॉ. रंजन बताते हैं कि कुछ कारक फैटी लिवर के खतरे को काफी बढ़ा देते हैं:

  • मोटापा: यह फैटी लिवर का सबसे बड़ा कारण है।
  • टाइप-2 डायबिटीज: जब लिवर में फैट जमा होता है, तो शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ जाता है, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
  • हाई कोलेस्ट्रॉल: खून में ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर भी एक बड़ा जोखिम है।
  • थायराइड: थायराइड की समस्या भी लिवर पर असर डाल सकती है।
  • असंतुलित जीवनशैली: शारीरिक गतिविधि की कमी और घंटों तक बैठे रहना।

लिवर को बचाने का एक्शन प्लान: क्या खाएं और क्या नहीं?

विशेषज्ञों के अनुसार, सही खान-पान से फैटी लिवर को नियंत्रित करने और ठीक करने में बड़ी मदद मिल सकती है।

इन चीजों से आज ही बना लें दूरी:

  • अतिरिक्त चीनी: कुकीज, कैंडी, सोडा, पैकेज्ड जूस और मिठाइयों से परहेज करें।
  • तला हुआ और प्रोसेस्ड फूड: फ्राइड चिकन, चिप्स, बर्गर, डोनट्स जैसे तले हुए खाने से बचें। प्रोसेस्ड मीट (सॉसेज, सलामी) भी न खाएं।
  • मैदा और सफेद चावल: व्हाइट ब्रेड, पास्ता और सफेद चावल की जगह साबुत अनाज (गेहूं, ओट्स, ब्राउन राइस) चुनें।
  • अतिरिक्त नमक: पैकेज्ड फूड में नमक ज्यादा होता है, इनसे दूर रहें।
  • बहुत ज्यादा खाना: ज़रूरत से ज़्यादा कैलोरी शरीर में फैट के रूप में जमा होती है।

लिवर को स्वस्थ रखने के लिए क्या खाएं?

  • पत्तेदार सब्जियां: पालक, मेथी जैसी सब्जियां लिवर के लिए फायदेमंद हैं।
  • फाइबर युक्त भोजन: अपनी आधी प्लेट में सलाद, फल और साबुत अनाज को जगह दें।
  • फलियां: दाल, चना, सोयाबीन और मटर को अपनी डाइट में शामिल करें।
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड: अलसी, अखरोट और मछली (अगर आप खाते हैं) का सेवन करें।
  • ब्लैक कॉफी: कई अध्ययनों में पाया गया है कि बिना चीनी वाली ब्लैक कॉफी लिवर एंजाइम को सामान्य करने में मदद करती है।

सिर्फ डाइट नहीं, एक्सरसाइज भी है जरूरी

नियमित व्यायाम फैटी लिवर के खिलाफ सबसे प्रभावी हथियारों में से एक है।

  • एरोबिक एक्सरसाइज: सप्ताह में कम से कम 150 मिनट तेज चलना, साइकिल चलाना या तैराकी जैसी गतिविधि करें।
  • वेट ट्रेनिंग: हफ्ते में दो दिन वजन उठाने वाली एक्सरसाइज भी मांसपेशियों को मजबूत करती है और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करती है।

निष्कर्ष

फैटी लिवर एक गंभीर लेकिन नियंत्रणीय बीमारी है। यह हमारी जीवनशैली का प्रतिबिंब है। समय पर इसके संकेतों को पहचानकर और अपनी आदतों में सुधार करके, हम न केवल इस बीमारी को बढ़ने से रोक सकते हैं, बल्कि इसे जड़ से खत्म भी कर सकते हैं। अपने लिवर को स्वस्थ रखना आपके अपने हाथों में है।

फैटी लिवर को लेकर आपका क्या अनुभव है? क्या आपने अपनी जीवनशैली में कोई बदलाव किया है जिससे आपको फायदा हुआ हो? हमें नीचे कमेंट सेक्शन में अपने विचार और अनुभव जरूर बताएं।

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