गुब्बारे वाला हाथी की कहानी

गुब्बारे वाला हाथी की कहानी

एक समय की बात है…

बहुत दूर, पहाड़ों और जंगलों के पार, एक छोटा सा गाँव था — रंगपुर। इस गाँव में सब कुछ सामान्य था, लेकिन एक चीज़ ने सबका ध्यान खींचा — एक नीले रंग का हाथी, जिसका नाम था गोला

लेकिन गोला कोई आम हाथी नहीं था।

वो हर सुबह उठकर रंग-बिरंगे गुब्बारे उड़ाता था। हाँ! उसने अपनी सूंड से गुब्बारे फुलाना और हवा में उड़ाना सीख लिया था। गाँव के सारे बच्चे उसे “गुब्बारे वाला हाथी” कहते थे।

एक दिन…

गाँव के पास का आकाश मेला लगने वाला था। लेकिन समस्या ये थी कि आसमान में काले-काले बादल थे और मौसम भी खराब होने वाला था। अगर मेला रद्द होता, तो बच्चे बहुत दुखी हो जाते।

गोला ने कुछ सोचा… और फिर उसने सबको बुलाया:

“अगर बादल हैं, तो हम उन्हें हटा नहीं सकते… लेकिन हम उड़ते रंगों से आसमान को चमका सकते हैं!”

वो जंगल गया, फूलों से रंग निकाला और हजारों गुब्बारे बनाकर उन्हें आकाश में उड़ाने लगा। देखते ही देखते पूरा आसमान इंद्रधनुषी गुब्बारों से भर गया।

बादल तो थे, लेकिन अब बच्चों की मुस्कान से रोशनी फूट रही थी।

और फिर क्या हुआ?

गोला गाँव का हीरो बन गया! अब हर साल, जब भी आकाश मेला होता, गोला सबसे पहले बुलाया जाता। वो कहता:

“जहाँ रंग होते हैं, वहाँ मुस्कान ज़रूर होती है।”


🌙 सीख:

“हर किसी के अंदर एक खास हुनर छिपा होता है। बस ज़रूरत होती है, उसे पहचानने और दूसरों के लिए इस्तेमाल करने की।”

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