LIC हिस्सेदारी बिक्री

LIC में और हिस्सेदारी बेचेगी सरकार, क्या प्राइवेट हो जाएगी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी? जानें पूरा ख़बर

देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी और करोड़ों लोगों के भरोसे का प्रतीक, भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। दो साल पहले शेयर बाजार में धमाकेदार एंट्री करने के बाद, अब केंद्र सरकार एक बार फिर एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है। इस खबर के आते ही निवेशकों और आम लोगों के मन में कई सवाल उठने लगे हैं। सरकार यह कदम क्यों उठा रही है? कितनी हिस्सेदारी बेची जाएगी? और सबसे बड़ा सवाल – क्या बार-बार हिस्सेदारी बेचने से देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी प्राइवेट हो जाएगी?

यह सिर्फ एक और सरकारी विनिवेश का मामला नहीं है, बल्कि यह बाजार नियामक सेबी के नियमों और एक विशालकाय संस्था के भविष्य से जुड़ा है। सूत्रों के मुताबिक, विनिवेश विभाग इस बड़े लेन-देन की बारीकियों पर काम शुरू कर चुका है। आइए, इस पूरी योजना को विस्तार से समझते हैं और आपके हर सवाल का जवाब ढूंढते हैं।

क्यों बेच रही है सरकार? मजबूरी या रणनीति?

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि सरकार यह LIC हिस्सेदारी बिक्री क्यों कर रही है। दरअसल, यह सरकार की कोई अचानक बनाई योजना नहीं, बल्कि एक नियामक मजबूरी है।

  • नियमों का दबाव: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नियमों के अनुसार, शेयर बाजार में लिस्टेड किसी भी कंपनी में कम से कम 10% हिस्सेदारी आम जनता (पब्लिक शेयरहोल्डिंग) के पास होनी चाहिए। लिस्टिंग के तीन साल के भीतर इस नियम का पालन करना अनिवार्य होता है।
  • मौजूदा हिस्सेदारी: मई 2022 में, सरकार एलआईसी का आईपीओ (IPO) लेकर आई थी और इसमें अपनी 3.5% हिस्सेदारी बेची थी। इसके बाद, सरकार के पास वर्तमान में एलआईसी में 96.5% की भारी-भरकम हिस्सेदारी है, जबकि पब्लिक के पास सिर्फ 3.5% है।
  • डेडलाइन की तलवार: नियमों के मुताबिक, सरकार को 16 मई, 2027 तक एलआईसी में पब्लिक शेयरहोल्डिंग को 10% तक पहुंचाना है। इसका सीधा मतलब है कि सरकार को आने वाले समय में कम से कम 6.5% और हिस्सेदारी बेचनी ही होगी।

इसलिए, यह कदम सरकार की रणनीति से ज्यादा, बाजार के नियमों का पालन करने की एक अनिवार्य प्रक्रिया है।

कब और कितनी होगी बिक्री? क्या है सरकार का प्लान?

सूत्रों के अनुसार, सरकार ने बिक्री पेशकश (Offer for Sale – OFS) के जरिए एलआईसी में और हिस्सेदारी बेचने को अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। हालांकि, यह प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में है।

  • कितनी हिस्सेदारी बिकेगी? जैसा कि नियमों से स्पष्ट है, कम से कम 6.5% हिस्सेदारी बेची जाएगी। हालांकि, सरकार यह हिस्सेदारी एक बार में बेचती है या कई टुकड़ों में, यह अभी तय नहीं है।
  • कब होगी बिक्री? हिस्सेदारी बिक्री की मात्रा, उसकी कीमत और सबसे महत्वपूर्ण, उसका सही समय, इन सब पर फैसला आने वाले महीनों में लिया जाएगा। विनिवेश विभाग इसके लिए बाजार की स्थिति का आकलन करेगा। सरकार चाहेगी कि बिक्री ऐसे समय पर हो जब एलआईसी के शेयर का भाव अच्छा हो, ताकि उसे बेहतर कीमत मिल सके।

तो क्या प्राइवेट हो जाएगी LIC? सबसे बड़े सवाल का जवाब

यह वो सवाल है जो हर किसी के मन में है। इसका सीधा और स्पष्ट जवाब है- नहीं।
कम से कम मौजूदा योजना के तहत एलआईसी के प्राइवेट होने का कोई सवाल ही नहीं उठता। आइए समझते हैं क्यों:

  1. सरकार रहेगी मालिक: अगर सरकार 6.5% हिस्सेदारी बेच भी देती है, तब भी उसके पास एलआईसी में 90% की हिस्सेदारी रहेगी।
  2. बहुमत का आंकड़ा: किसी भी सरकारी कंपनी को तब तक निजी नहीं माना जाता, जब तक सरकार के पास उसमें 51% से अधिक की हिस्सेदारी हो। 51% हिस्सेदारी का मतलब है कि कंपनी के सभी बड़े फैसलों पर अंतिम मुहर सरकार की ही लगेगी।
  3. विनिवेश बनाम निजीकरण: हिस्सेदारी बेचने को ‘विनिवेश’ (Disinvestment) कहते हैं, जिसका मतलब होता है अपनी हिस्सेदारी को कम करना। जबकि ‘निजीकरण’ (Privatization) का मतलब होता है कंपनी का मालिकाना हक और नियंत्रण किसी निजी संस्था को सौंप देना। एलआईसी के मामले में सरकार सिर्फ विनिवेश कर रही है, निजीकरण नहीं।

इसलिए, यह चिंता करना कि एलआईसी एक प्राइवेट कंपनी बन जाएगी, फिलहाल निराधार है। सरकार नियमों का पालन करने के लिए अपनी हिस्सेदारी घटा रही है, लेकिन वह कंपनी का नियंत्रण अपने पास ही रखेगी।

निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है?

जो लोग एलआईसी के शेयर में निवेश कर चुके हैं या करने की सोच रहे हैं, उनके लिए इस खबर के कुछ मायने हैं।

  • शेयर की कीमत पर असर: आमतौर पर जब कोई कंपनी OFS के जरिए बड़ी मात्रा में शेयर बेचती है, तो वह मौजूदा बाजार मूल्य से कुछ छूट (Discount) पर पेश की जाती है। इससे बाजार में शेयरों की सप्लाई बढ़ जाती है, जिससे थोड़े समय के लिए शेयर की कीमत पर दबाव आ सकता है।
  • मौजूदा प्रदर्शन: गुरुवार को एलआईसी का शेयर बीएसई पर 2.01% की गिरावट के साथ 926.85 रुपये पर बंद हुआ। इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 1,221.50 रुपये और न्यूनतम 715.35 रुपये रहा है। कंपनी का मौजूदा मार्केट कैप 5.85 लाख करोड़ रुपये है। निवेशकों को हिस्सेदारी बिक्री की घोषणा के समय पर नजर रखनी होगी।

कैसा चल रहा है LIC का कारोबार?

किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले उसका कारोबार समझना जरूरी है। हाल ही में आए आंकड़ों से एलआईसी के कारोबार की मिली-जुली तस्वीर सामने आती है।

  • अच्छी खबर: व्यक्तिगत प्रीमियम खंड (Individual Premium Segment) में एलआईसी की आय जून में 14.60% बढ़ी है। यह एक सकारात्मक संकेत है। जून 2025 में, एलआईसी ने व्यक्तिगत प्रीमियम के रूप में 5,313 करोड़ रुपये एकत्र किए।
  • चिंता की बात: हालांकि, ग्रुप प्रीमियम इनकम में 7% की गिरावट आई है और कुल प्रीमियम आय भी 3.43% घटकर 27,395 करोड़ रुपये रह गई है। इसके अलावा, जारी की गई पॉलिसियों की संख्या में भी पिछले साल की तुलना में कमी देखी गई है।

यह आंकड़े दिखाते हैं कि कंपनी को व्यक्तिगत कारोबार में तो सफलता मिल रही है, लेकिन ग्रुप बिजनेस में उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

कुल मिलाकर, LIC हिस्सेदारी बिक्री एक तय प्रक्रिया है जिसे सरकार को नियमों के तहत पूरा करना है। इससे कंपनी के निजीकरण का कोई खतरा नहीं है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस बिक्री के लिए किस समय का चुनाव करती है और बाजार इस बड़ी सप्लाई को कैसे पचाता है।

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