Meta और Apple के लोगो एक-दूसरे के आमने-सामने हैं, जो दोनों के बीच AI टैलेंट के लिए चल रही जंग को दर्शा रहा है।

Meta का Apple पर एक और ‘सर्जिकल स्ट्राइक’! दो और टॉप AI इंजीनियर तोड़े, जकरबर्ग ने छेड़ी टैलेंट की सबसे बड़ी जंग

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में वर्चस्व की लड़ाई अब एक नए और बेहद आक्रामक मोड़ पर पहुंच चुकी है। फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा (Meta) ने अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी एप्पल को एक और बड़ा झटका देते हुए, उसके दो और वरिष्ठ AI रिसर्चर्स को अपने पाले में कर लिया है। यह कदम उस ‘टैलेंट वॉर’ को और भी तेज कर देता है, जो सिलिकॉन वैली में शीर्ष AI प्रतिभाओं को हासिल करने के लिए छिड़ी हुई है।

यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ठीक उस समय आई है जब कुछ ही समय पहले मेटा (Meta) ने एप्पल के लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) डिवीजन के पूर्व प्रमुख, रुओमिंग पैंग को एक हाई-प्रोफाइल भर्ती में तोड़ा था। अब, मार्क ली और टॉम गुंटर जैसे बड़े नामों का मेटा में शामिल होना यह साफ करता है कि मार्क जकरबर्ग AI की इस दौड़ में किसी भी कीमत पर पीछे नहीं रहना चाहते। यह सिर्फ कुछ इंजीनियरों की भर्ती नहीं है, बल्कि यह मेटा (Meta) की उस विशालकाय रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत वह OpenAI और गूगल को सीधी टक्कर देना चाहता है।

कौन हैं ये दो नए AI दिग्गज, जिन्हें मेटा ने तोड़ा?

मार्क ली और टॉम गुंटर, दोनों ही एप्पल के AI प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। मामले से परिचित लोगों के अनुसार, इन दोनों को मेटा (Meta) की ‘सुपरइंटेलिजेंस लैब्स’ टीम में शामिल किया गया है।

  • मार्क ली: उन्होंने अपनी नई भूमिका पहले ही शुरू कर दी है। बताया जाता है कि वह एप्पल में रुओमिंग पैंग द्वारा की गई पहली हायरिंग थे, जो उनकी काबिलियत को दर्शाता है।
  • टॉम गुंटर: वह पहले एप्पल में एक ‘डिस्टिंग्विश्ड इंजीनियर’ थे। उन्होंने पिछले महीने ही एप्पल छोड़ा था और कुछ समय के लिए एक दूसरे AI वेंचर में शामिल होने के बाद अब मेटा का रुख किया है।

ये दोनों ही एप्पल की ‘फाउंडेशन मॉडल्स’ (AFM) टीम का एक अभिन्न हिस्सा माने जाते थे। यह वही टीम है जो सिरी (Siri) और एप्पल इंटेलिजेंस जैसे कंपनी के सबसे बड़े जनरेटिव AI प्रोजेक्ट्स के पीछे है। इन दोनों का जाना एप्पल के लिए एक बड़ा झटका है।

जकरबर्ग का ‘सुपर इंटेलिजेंस’ का सपना और अरबों डॉलर का दांव

यह आक्रामक हायरिंग मेटा (Meta) के सीईओ मार्क जकरबर्ग की उस महत्वाकांक्षा को दर्शाती है, जिसमें उन्होंने AI को कंपनी की केंद्रीय रणनीतिक प्राथमिकता बना दिया है। जकरबर्ग ने AI के विकास में कर्मियों और बुनियादी ढांचे में भारी निवेश करने का संकल्प लिया है ताकि OpenAI और गूगल की क्षमताओं को टक्कर दी जा सके।

इसी हफ्ते, उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘थ्रेड्स’ पर एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा था कि मेटा (Meta) “सुपरइंटेलिजेंस बनाने के लिए कंप्यूट (कंप्यूटिंग पावर) में सैकड़ों अरबों डॉलर का निवेश करेगा।” यह बयान साफ करता है कि जकरबर्ग सिर्फ AI नहीं, बल्कि ‘सुपरइंटेलिजेंस’ यानी इंसानों से भी ज्यादा बुद्धिमान AI बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, और इसके लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

करोड़ों के पैकेज का खेल: कैसे टैलेंट को लुभा रहा है मेटा?

मेटा (Meta) यह टैलेंट वॉर सिर्फ विजन के दम पर नहीं, बल्कि पैसों के दम पर भी लड़ रहा है।

  • रुमिंग पैंग का $200 मिलियन का पैकेज: बताया जाता है कि मेटा ने रुओमिंग पैंग को जो ऑफर दिया था, उसमें $200 मिलियन (लगभग ₹1600 करोड़) से अधिक का मुआवजा पैकेज शामिल था। इस एक ऑफर ने बाजार में एक नया बेंचमार्क स्थापित कर दिया।
  • $100 मिलियन से ज्यादा के कॉन्ट्रैक्ट: माना जा रहा है कि टॉम गुंटर और मेटा के AI डिवीजन में शामिल हुए कई अन्य लोगों को भी इसी तरह के आकर्षक मल्टी-ईयर कॉन्ट्रैक्ट दिए गए हैं, जिनकी कीमत $100 मिलियन (लगभग ₹800 करोड़) से अधिक है।

यह दिखाता है कि मेटा (Meta) शीर्ष AI प्रतिभाओं को हासिल करने के लिए किसी भी तरह का वित्तीय जोखिम उठाने को तैयार है।

एप्पल के भीतर बढ़ती अनिश्चितता: क्या पिछड़ रहा है आईफोन मेकर?

जहाँ एक तरफ मेटा (Meta) आक्रामक रूप से आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ एप्पल के भीतर AI को लेकर एक तरह की अनिश्चितता और उथल-पुथल का माहौल है।

  • AFM डिवीजन में संकट: एप्पल का AFM डिवीजन, जो उसके खुद के AI मॉडल विकसित करने के लिए जिम्मेदार है, एक अनिश्चित दौर से गुजर रहा है। वरिष्ठ नेता कथित तौर पर इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या आने वाले उत्पादों के लिए OpenAI के ChatGPT या Anthropic के Claude जैसे तीसरे पक्ष के मॉडलों का उपयोग किया जाए।
  • रणनीति पर मंथन: एप्पल के शीर्ष AI अधिकारी, रिसर्च हेड डैफने लुओंग और SVP जॉन जियानांद्रिया, अब सॉफ्टवेयर प्रमुखों क्रेग फेडेरिघी और माइक रॉकवेल के साथ मिलकर सिरी और संबंधित AI सेवाओं की रणनीतिक दिशा तय करने के लिए सहयोग कर रहे हैं।

एप्पल की जवाबी कार्रवाई

मेटा (Meta) द्वारा की जा रही इस ‘टैलेंट पोचिंग’ के जवाब में, एप्पल ने भी अपनी AFM टीम के कुछ सदस्यों को वेतन वृद्धि की पेशकश शुरू कर दी है ताकि प्रमुख कर्मियों को बनाए रखा जा सके। हालांकि, बताया जा रहा है कि ये प्रोत्साहन उस चौंका देने वाली रकम से बहुत कम हैं जो मेटा देने को तैयार है।

निष्कर्ष: AI की इस जंग का विजेता कौन होगा?

यह स्पष्ट है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भविष्य कुछ ही कंपनियों के हाथों में आकार ले रहा है, और मेटा (Meta) यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है कि वह उन कंपनियों में सबसे आगे हो। मार्क जकरबर्ग का आक्रामक रवैया और अरबों डॉलर का निवेश यह दिखाता है कि वह AI को सिर्फ एक प्रोडक्ट नहीं, बल्कि भविष्य की कंप्यूटिंग का आधार मानते हैं।

दूसरी ओर, एप्पल जो अपनी गोपनीयता और इन-हाउस डेवलपमेंट के लिए जाना जाता है, अब एक दोराहे पर खड़ा है। क्या वह तीसरे पक्ष के मॉडलों पर निर्भर होकर अपनी पहचान खो देगा, या वह अपने टैलेंट को बनाए रखने के लिए मेटा की तरह आक्रामक रुख अपनाएगा? यह लड़ाई सिर्फ इंजीनियरों की नहीं, बल्कि भविष्य की टेक्नोलॉजी की दिशा तय करने वाली दो अलग-अलग विचारधाराओं की है। और इस जंग का नतीजा जो भी हो, यह तय है कि आने वाला समय AI की दुनिया में और भी कई बड़े और चौंकाने वाले बदलाव लेकर आएगा।

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