क्या आपकी सुबह भी एक अजीब से डर, बेचैनी या तेज धड़कनों के साथ शुरू होती है? क्या आंख खुलते ही दिमाग में नकारात्मक विचारों का तूफान आ जाता है और आप बिना किसी वजह के तनाव महसूस करने लगते हैं? अगर आपका जवाब ‘हां’ है, तो इसे सिर्फ एक बुरा सपना या रात की थकान समझकर नजरअंदाज करने की गलती न करें। यह मॉर्निंग एंग्जायटी यानी सुबह होने वाली चिंता का एक स्पष्ट संकेत हो सकता है, जो धीरे-धीरे आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को खोखला कर सकता है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में यह समस्या आम होती जा रही है, लेकिन लोग इसे अक्सर मामूली समझकर अनदेखा कर देते हैं, जो आगे चलकर डिप्रेशन, पैनिक अटैक और क्रोनिक स्ट्रेस जैसी गंभीर मानसिक बीमारियों का रूप ले सकती है। गुरुग्राम के तुलसी हेल्थकेयर के सीईओ और वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. गोरव गुप्ता के अनुसार, यह स्थिति शरीर का एक अलार्म है, जो बताता है कि आपका मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है। आइए, इस अदृश्य दुश्मन को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि इससे कैसे लड़ा जा सकता है।
क्या है मॉर्निंग एंग्जायटी और क्यों सुबह ही करती है हमला?
मॉर्निंग एंग्जायटी कोई अलग बीमारी नहीं, बल्कि ‘जनरलाइज्ड एंग्जायटी डिसऑर्डर’ का ही एक रूप है, जो विशेष रूप से सुबह के समय अपने चरम पर होती है। यह सिर्फ एक भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है।
‘स्ट्रेस हार्मोन’ का खेल
हमारे शरीर में ‘कोर्टिसोल’ नामक एक हार्मोन होता है, जिसे ‘स्ट्रेस हार्मोन’ भी कहा जाता है। इसका स्तर स्वाभाविक रूप से सुबह के समय सबसे अधिक होता है ताकि हम जाग सकें और दिन की चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें। लेकिन, जिन लोगों की जिंदगी में तनाव, दबाव या नींद की कमी होती है, उनमें यह कोर्टिसोल का स्तर जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है। यही बढ़ा हुआ हार्मोन सुबह आंख खुलते ही बेचैनी, घबराहट और डर की भावनाओं को जन्म देता है।
डॉ. गुप्ता के अनुसार, “यह आजकल एक आम समस्या बनती जा रही है, खासकर उन लोगों में जो लगातार तनाव, वर्क प्रेशर या नींद की कमी से जूझ रहे हैं।”
कैसे पहचानें मॉर्निंग एंग्जायटी के लक्षणों को?

यह जानना बहुत जरूरी है कि आप सामान्य तनाव महसूस कर रहे हैं या मॉर्निंग एंग्जायटी का शिकार हो रहे हैं। इसके कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:
- शारीरिक लक्षण:
- नींद खुलते ही दिल की धड़कन का बहुत तेज हो जाना।
- सांस लेने में तकलीफ या सांस का छोटा हो जाना।
- हाथ-पैरों में कंपकंपी या कमजोरी महसूस होना।
- पेट में मरोड़, उलझन या उल्टी जैसा महसूस होना।
- सिर में भारीपन या चक्कर आना।
- पूरे शरीर में थकान और ऊर्जा की कमी।
- मानसिक लक्षण:
- किसी अनजाने डर या खतरे का एहसास होना।
- दिमाग में लगातार नकारात्मक विचारों का आना।
- किसी भी काम पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई।
- छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन या गुस्सा आना।
- भविष्य को लेकर अत्यधिक चिंता करना।
अगर ये लक्षण बार-बार और लगातार आपकी सुबह को खराब कर रहे हैं, तो यह वक्त है संभल जाने का।
आपकी सुबह की दुश्मन: क्या हैं मॉर्निंग एंग्जायटी के मुख्य कारण?
इस समस्या के पीछे कोई एक नहीं, बल्कि कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। यह आपकी जीवनशैली और मानसिक स्थिति का मिला-जुला परिणाम है:
- खराब नींद: नींद की कमी या खराब गुणवत्ता वाली नींद इसका सबसे बड़ा कारण है। जब शरीर और दिमाग को रात में पूरा आराम नहीं मिलता, तो अगली सुबह तनाव का स्तर बढ़ना स्वाभाविक है।
- डिजिटल एडिक्शन: देर रात तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी देखना, और सुबह आंख खुलते ही सबसे पहले फोन चेक करना आपकी चिंता को ट्रिगर कर सकता है।
- गलत खान-पान: रात में भारी भोजन, या कैफीन (चाय/कॉफी) और शराब का अत्यधिक सेवन भी नींद के पैटर्न को बिगाड़कर मॉर्निंग एंग्जायटी को बढ़ावा देता है।
- काम का दबाव और तनाव: ऑफिस का टारगेट, डेडलाइन का प्रेशर या निजी जीवन की समस्याएं रात भर आपके दिमाग में घूमती रहती हैं, जो सुबह चिंता के रूप में सामने आती हैं।
- नकारात्मक सोच: कुछ लोगों की आदत होती है कि वे सुबह उठते ही दिनभर की चुनौतियों या समस्याओं के बारे में सोचने लगते हैं। यह नकारात्मक सोच चिंता को न्योता देती है।
क्या इस चिंता से मुक्ति संभव है? जानें इलाज और उपाय
अच्छी खबर यह है कि Morning anxiety कोई लाइलाज समस्या नहीं है। सही जीवनशैली और कुछ आसान तकनीकों से इसे पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है।
अपनी सुबह को ऐसे बनाएं शांत और ऊर्जावान
आपकी सुबह की शुरुआत ही आपके पूरे दिन की दिशा तय करती है। इसलिए, सुबह का पहला घंटा सिर्फ अपने लिए समर्पित करें:
- डिजिटल डिटॉक्स: आंख खुलते ही फोन चेक करने की आदत को आज ही छोड़ दें।
- गहरी सांसें लें: बिस्तर पर ही 5 मिनट तक गहरी और धीमी सांसें लेने का अभ्यास करें। यह आपके नर्वस सिस्टम को शांत करेगा।
- माइंडफुलनेस और मेडिटेशन: 5-10 मिनट का ध्यान (मेडिटेशन) या सिर्फ खिड़की के बाहर देखकर ताजी हवा महसूस करना आपके मन को स्थिर कर सकता है।
- हल्का व्यायाम: हल्की स्ट्रेचिंग, योग या सुबह की सैर (मॉर्निंग वॉक) शरीर में ‘फील-गुड’ हार्मोन (एंडोर्फिन) को रिलीज करती है, जो चिंता को कम करता है।
- स्वस्थ नाश्ता: अपने दिन की शुरुआत एक हेल्दी नाश्ते से करें, जिसमें प्रोटीन और फाइबर की अच्छी मात्रा हो।
- कृतज्ञता का अभ्यास (Gratitude Journaling): अगर आपको लिखना पसंद है, तो रोज सुबह ऐसी 3 बातें लिखें जिनके लिए आप आभारी हैं। यह आदत आपके दिमाग को पॉजिटिविटी की ओर मोड़ देगी।
कब है डॉक्टर के पास जाने का सही समय?

अगर घरेलू उपाय और जीवनशैली में बदलाव के बाद भी आपकी सुबह की घबराहट कम नहीं हो रही है और यह आपकी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने लगी है, तो प्रोफेशनल मदद लेने में बिल्कुल भी संकोच न करें।
आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए अगर:
- घबराहट के कारण आप ऑफिस या अपने जरूरी काम पर नहीं जा पा रहे हैं।
- आप हर दिन थका हुआ और उदास महसूस कर रहे हैं।
- चिंता के साथ-साथ डिप्रेशन, नींद न आना या बार-बार आत्महत्या के विचार आने लगे हैं।
एक मनोचिकित्सक या थेरेपिस्ट आपकी समस्या की जड़ को समझकर सही इलाज दे सकते हैं। काउंसलिंग और सीबीटी (Cognitive Behavioral Therapy) जैसी थेरेपी मॉर्निंग एंग्जायटी के इलाज में बेहद कारगर साबित होती हैं।
याद रखिए, आपकी मानसिक सेहत भी उतनी ही जरूरी है जितनी शारीरिक सेहत। अपनी चिंता को पहचानना और उसके लिए मदद मांगना कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी का पहला कदम है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।