आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में हर रोज एक नया भूचाल आ रहा है। गूगल को अपने जनरेटिव AI सर्च इंजन से सीधी टक्कर देने वाली सैन फ्रांसिस्को की AI स्टार्टअप कंपनी Perplexity ने अब एक और बड़ा दांव खेला है – Perplexity’s Comet browser। यह सिर्फ एक और वेब ब्राउजर नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा शक्तिशाली AI टूल है जो इंटरनेट इस्तेमाल करने के आपके तरीके को हमेशा के लिए बदल सकता है। लेकिन यह सिर्फ गूगल के लिए ही खतरा नहीं है, बल्कि यह उन लाखों व्हाइट-कॉलर पेशेवरों के लिए भी एक बड़ी चेतावनी है जो अब तक अपनी नौकरियों को सुरक्षित मानते थे।
हाल ही में The Verge को दिए एक इंटरव्यू में, Perplexity के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने एक ऐसा खुलासा किया है जिसने कॉर्पोरेट जगत में हड़कंप मचा दिया है। उन्होंने बताया कि Perplexity’s Comet browser जल्द ही कम से कम दो ऐसी व्हाइट-कॉलर नौकरियों को पूरी तरह से बदलने या खत्म करने में सक्षम हो सकता है, जिन पर कोई भी ऑफिस बहुत ज्यादा निर्भर करता है। यह बयान AI द्वारा नौकरियों पर बढ़ते खतरे को एक नई और भयावह हकीकत में बदल देता है। आइए, जानते हैं कि कौन सी हैं वो दो नौकरियां और कैसे यह AI ब्राउजर उन्हें खत्म करने की क्षमता रखता है।
कौन सी दो नौकरियां हैं AI के निशाने पर?
अरविंद श्रीनिवास ने जिन दो भूमिकाओं का जिक्र किया, वे हैं:
- रिक्रूटर्स (Recruiters): यानी वे पेशेवर जो कंपनियों के लिए सही उम्मीदवारों को ढूंढने, उनसे संपर्क करने और भर्ती प्रक्रिया को मैनेज करने का काम करते हैं।
- एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टेंट्स (Administrative Assistants): यानी वे सहायक जो मीटिंग शेड्यूल करने, कैलेंडर मैनेज करने और अन्य प्रशासनिक कार्यों को संभालने का काम करते हैं।
यह दोनों ही भूमिकाएं किसी भी संगठन के सुचारू संचालन के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। लेकिन श्रीनिवास का मानना है कि भविष्य के AI मॉडल इन कामों को इंसानों से बेहतर और ज्यादा कुशलता से कर सकते हैं।
कैसे एक AI ब्राउजर करेगा रिक्रूटर का काम?
The Verge के “Decoder” पॉडकास्ट के नवीनतम एपिसोड में, श्रीनिवास ने विस्तार से बताया कि कैसे Perplexity’s Comet browser GPT-5 या Claude 4.5 जैसे बेहतर रीजनिंग मॉडल के आने के बाद एक रिक्रूटर की नौकरी की जगह ले सकता है।
एक हफ्ते का काम, सिर्फ एक प्रॉम्प्ट में!
श्रीनिवास ने कहा, “एक रिक्रूटर का एक हफ्ते का काम सिर्फ एक प्रॉम्प्ट है: सोर्सिंग और पहुंच बनाना। और फिर आपको स्टेट ट्रैकिंग करनी होती है।”
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि आप कॉमेट को क्या-क्या करने के लिए कह सकते हैं:
- उम्मीदवारों को ढूंढना और संपर्क करना: “मेरे लिए इस जॉब प्रोफाइल के लिए 50 बेस्ट उम्मीदवार ढूंढो और उन्हें ईमेल भेजो।”
- फॉलो-अप और ट्रैकिंग: “उनसे लगातार फॉलो-अप करते रहो, उनके जवाबों को ट्रैक करो।”
- डेटा मैनेजमेंट: “जो लोग जवाब देते हैं, उनकी जानकारी गूगल शीट्स में अपडेट करो और उनका स्टेटस ‘Responded’ या ‘In Progress’ मार्क करो।”
- मीटिंग शेड्यूल करना: “उन उम्मीदवारों के साथ मेरे गूगल कैलेंडर को सिंक करो, समय के टकराव को हल करो और एक चैट शेड्यूल करो।”
- मीटिंग से पहले ब्रीफ देना: “मीटिंग से ठीक पहले मुझे उम्मीदवार के बारे में एक संक्षिप्त ब्रीफ भेजो।”
श्रीनिवास ने यह भी कहा, “इनमें से कुछ चीजें प्रोएक्टिव होनी चाहिए। इसके लिए प्रॉम्प्ट की भी जरूरत नहीं पड़नी चाहिए।”
सिर्फ एक ब्राउजर नहीं, एक ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने की महत्वाकांक्षा
श्रीनिवास ने यह भी बताया कि Perplexity की महत्वाकांक्षा अपने कॉमेट ब्राउजर को सिर्फ एक ब्राउजर नहीं, बल्कि एक ऑपरेटिंग सिस्टम जैसा महसूस कराने की है, जो इस तरह की प्रक्रियाओं को बैकग्राउंड में चलाता है और नेचुरल लैंग्वेज प्रॉम्प्ट के आधार पर कमांड्स को लागू करता है। यह एक बहुत बड़ा विजन है, जो वेब ब्राउजर की पारंपरिक परिभाषा को ही बदल देता है।
क्या यह सिर्फ पेड यूजर्स के लिए होगा?
फिलहाल, Perplexity’s Comet browser केवल Perplexity के पेड ग्राहकों के लिए ही उपलब्ध है। लेकिन कंपनी ने मुफ्त यूजर्स के लिए भी इनवाइट्स खोल दिए हैं, जिन्हें जल्द ही इस AI-पावर्ड प्रोडक्ट का एक्सेस मिल जाना चाहिए।
इस हफ्ते की शुरुआत में एक Reddit AMA सेशन में, श्रीनिवास ने पुष्टि की थी कि कॉमेट ब्राउजर मुफ्त यूजर्स के लिए भी उपलब्ध होगा, लेकिन कुछ AI-पावर्ड एजेंटिक टास्क (जैसे रिक्रूटर वाले काम) एक पेवॉल के पीछे हो सकते हैं।
क्या लोग इसके लिए पैसे देंगे?
नवीनतम पॉडकास्ट के दौरान, श्रीनिवास ने इस संभावना में आशावाद दिखाया कि यूजर्स लंबी अवधि में कॉमेट द्वारा दी जाने वाली कार्यक्षमता के कारण इसके लिए भुगतान करना चाहेंगे।
उन्होंने कहा, “और बड़े पैमाने पर, अगर यह आपको कुछ मिलियन रुपये कमाने में मदद करता है, तो क्या उस प्रॉम्प्ट के लिए $2,000 खर्च करना समझ में नहीं आता? आता है, है ना? इसलिए मुझे लगता है कि हम ब्राउजर के लिए चैटबॉट्स की तुलना में कई और दिलचस्प तरीकों से मोनेटाइज कर पाएंगे।”
निष्कर्ष: डरें नहीं, तैयार रहें
Perplexity’s Comet browser का आगमन इस बात का एक और स्पष्ट संकेत है कि AI अब सिर्फ जानकारी खोजने या कंटेंट बनाने तक सीमित नहीं है। यह अब जटिल, मल्टी-स्टेप कार्यों को करने में भी सक्षम हो रहा है, जो सीधे तौर पर व्हाइट-कॉलर नौकरियों को प्रभावित करेगा।
अरविंद श्रीनिवास की बातें एक चेतावनी हैं, लेकिन यह एक अवसर भी है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि भविष्य के कार्यस्थल में इंसानों की भूमिका क्या होगी। जो काम दोहराव वाले और प्रक्रिया-आधारित हैं, वे निश्चित रूप से ऑटोमेट होंगे। ऐसे में, हमें उन कौशलों पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो AI नहीं कर सकता – जैसे कि रचनात्मकता, रणनीतिक सोच, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और जटिल निर्णय लेना।
Perplexity’s Comet browser का भविष्य जो भी हो, एक बात तो तय है – AI की यह लहर अब रुकने वाली नहीं है, और जो इसके साथ चलना नहीं सीखेंगे, वे शायद पीछे छूट जाएंगे।