Sabih Khan Apple

Apple के नए ‘Boss’ Sabih Khan: मुरादाबाद से सिलिकॉन वैली तक, जानें क्यों यह नियुक्ति भारत के लिए है गेम-चेंजर

दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे प्रतिष्ठित टेक्नोलॉजी कंपनी एपल की कमान अब एक ऐसे शख्स के हाथों में होगी, जिसकी जड़ें भारत के एक छोटे से शहर से जुड़ी हैं। आईफोन बनाने वाली इस दिग्गज कंपनी ने हाल ही में भारतीय मूल के सबीह खान को अपना नया चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) बनाने का ऐलान किया है, और इस एक खबर ने पूरी टेक इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। यह सिर्फ एक प्रमोशन नहीं है, बल्कि इसे एपल के भीतर एक बड़े बदलाव और भारत के प्रति उसकी गहरी होती प्रतिबद्धता के एक मजबूत संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

सबीह खान यह जिम्मेदारी एक ऐसे महत्वपूर्ण समय में संभालने जा रहे हैं जब मौजूदा सीओओ जेफ विलियम्स रिटायर हो रहे हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump लगातार Apple पर भारत में आईफोन बनाने को लेकर भारी टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं। ऐसे में Sabih Khan Apple के दूसरे सबसे बड़े पद पर बैठकर क्या गुल खिलाएंगे? और सबसे बड़ा सवाल, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से उनका क्या कनेक्शन है? आइए, इस पूरी कहानी को विस्तार से जानते हैं।

कौन हैं सबीह खान? मुरादाबाद से अमेरिका तक का सफर

यह कहानी शुरू होती है उत्तर प्रदेश के ‘पीतल नगरी’ के नाम से मशहूर शहर Moradabad से। साल 1966 में यहीं सबीह खान का जन्म हुआ था। एक ऐसा शहर जो अपनी दस्तकारी और कला के लिए जाना जाता है, कौन जानता था कि इसी शहर का एक लड़का एक दिन दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे नवीन टेक्नोलॉजी कंपनी के शीर्ष पदों में से एक पर बैठेगा।

जब सबीह महज दस साल के थे, तब उनका परिवार बेहतर अवसरों की तलाश में सिंगापुर चला गया। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई वहीं हुई, जिसने उन्हें एक वैश्विक दृष्टिकोण प्रदान किया। लेकिन उनके सपनों की उड़ान अभी बाकी थी। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने अमेरिका का रुख किया, जो उस समय टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का केंद्र बन रहा था।

अमेरिका में उन्होंने प्रतिष्ठित Tufts University से मैकेनिकल इंजीनियरिंग और इकोनॉमिक्स में दोहरी डिग्री हासिल की। ज्ञान की उनकी भूख यहीं शांत नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने रेन्सलियर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री भी प्राप्त की। यह मजबूत अकादमिक नींव उनके भविष्य के शानदार करियर का आधार बनी।

एपल में 30 साल का लंबा सफर: प्रोक्योरमेंट से सीओओ तक

1995 का वो दौर जब एपल आज की तरह दुनिया पर राज नहीं कर रहा था, और अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा था, तब सबीह खान ने एक प्रोक्योरमेंट स्पेशलिस्ट के तौर पर कंपनी ज्वाइन की। यह उनके लंबे और शानदार सफर की शुरुआत थी। उन्होंने अपनी मेहनत, काबिलियत और दूरदर्शिता के दम पर कंपनी के भीतर लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ीं।

2019 में उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी मिली और वह एपल के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (ऑपरेशंस) बने। इस भूमिका में उन्होंने एपल के पूरे ऑपरेटिंग सिस्टम की कमान संभाली, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग (उत्पादन), प्रोक्योरमेंट (खरीद), लॉजिस्टिक्स (सामान की आवाजाही) और प्रोडक्ट सप्लाई जैसी जटिल प्रक्रियाएं शामिल थीं। इसका मतलब है कि आज आप जो iPhone इतनी आसानी से खरीद पाते हैं, उसके बनने से लेकर आपके हाथ तक पहुंचने की पूरी जटिल प्रक्रिया को डिजाइन करने वाले और उसे सुचारू रूप से चलाने वाले प्रमुख लोगों में सबीह खान शामिल हैं।

इसके साथ ही, उन्होंने एपल के ‘सप्लायर रिस्पॉन्सिबिलिटी प्रोग्राम’ का भी नेतृत्व किया। इस पद पर रहते हुए उनका जोर सिर्फ प्रोडक्ट बनाने पर नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने पर भी था कि एपल के लिए काम करने वाले लाखों मजदूरों के साथ नैतिक व्यवहार हो और उन्हें बेहतर काम का माहौल मिले।

टिम कुक और जेफ विलियम्स क्यों करते हैं इतनी तारीफ?

किसी व्यक्ति की काबिलियत का सबसे बड़ा प्रमाण तब मिलता है जब उसके बॉस और सहयोगी उसकी तारीफ करें। सबीह खान इस मामले में बेहद भाग्यशाली हैं। एपल के सीईओ टिम कुक और रिटायर हो रहे सीओओ जेफ विलियम्स, दोनों ही उनकी तारीफ करते नहीं थकते।

टिम कुक की नजरों में सबीह खान

टिम कुक ने सबीह खान को एपल की सप्लाई चेन का “प्रमुख आर्किटेक्ट” बताया है। कुक के मुताबिक:

  • सप्लाई चेन के महारथी: उन्होंने एपल की वैश्विक सप्लाई चेन को इतना मजबूत और कुशल बनाया कि कंपनी किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है।
  • एडवांस मैन्युफैक्चरिंग के अगुआ: उन्होंने उत्पादन में नई तकनीकों को बढ़ावा दिया और अमेरिका में एपल के मैन्युफैक्चरिंग विस्तार को संभाला।
  • पर्यावरण के प्रति सजग: टिम कुक ने सबीह के पर्यावरण से जुड़े काम की भी सराहना की। उनके नेतृत्व में एपल के कार्बन उत्सर्जन में 60% की भारी कमी आई।
  • मूल्यों पर आधारित नेतृत्व: कुक ने सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही, “सबीह दिल से काम करते हैं और अपने मूल्यों के साथ नेतृत्व करते हैं।”

जेफ विलियम्स का भरोसा

मौजूदा सीओओ जेफ विलियम्स, जिनके साथ सबीह ने 27 साल तक कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है, उन्हें “इस धरती का सबसे प्रतिभाशाली ऑपरेशन अधिकारी” मानते हैं। विलियम्स ने कहा, “मुझे पूरा भरोसा है कि उनके नेतृत्व में एपल का भविष्य उज्जवल होगा।”

इस नियुक्ति के भारत के लिए क्या हैं मायने? ‘मेड इन इंडिया’ का बड़ा संकेत

सबीह खान की सीओओ पद पर नियुक्ति सिर्फ एक सामान्य प्रमोशन नहीं है। यह एपल की उस ग्रैंड स्ट्रैटेजी का हिस्सा है, जिसमें भारत एक केंद्रीय भूमिका में है। इसे समझने के लिए हमें कुछ तथ्यों को जोड़कर देखना होगा:

  1. ट्रंप की धमकी: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार कह रहे हैं कि अगर एपल अमेरिका के बाहर, खासकर भारत में आईफोन बनाएगा, तो उस पर भारी टैरिफ लगाया जाएगा।
  2. एपल का बढ़ता भारतीय उत्पादन: इन धमकियों के बावजूद, एपल ने 2017 में भारत में आईफोन का उत्पादन शुरू किया और पिछले कुछ सालों में इसमें तेजी से बढ़ोतरी की है। पिछले वित्तीय वर्ष में एपल ने भारत में 22 अरब डॉलर के आईफोन बनाए, जो 60% की वृद्धि है।
  3. टिम कुक का बयान: कुछ ही दिन पहले टिम कुक ने साफ कहा था कि अमेरिकी बाजार में बिकने वाले ज्यादातर आईफोन अब भारत में बनाए जाएंगे।

इन तीनों तथ्यों के बीच, भारतीय मूल के सबीह खान को कंपनी का दूसरा सबसे बड़ा पद सौंपना एक बहुत बड़ा और स्पष्ट संकेत है। यह ट्रंप की धमकियों और वैश्विक दबाव का एक तरह से जवाब भी है। एपल दुनिया को यह बता रहा है कि वह भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस को लेकर कितना गंभीर है और इस मिशन का नेतृत्व करने के लिए उसने अपने सबसे काबिल और भरोसेमंद व्यक्ति को चुना है, जिसकी जड़ें खुद भारत से हैं।

फिलहाल दुनिया भर में बिकने वाले कुल आईफोन में से करीब 20 प्रतिशत भारत में बनते हैं। सबीह खान के नेतृत्व में, यह उम्मीद की जा रही है कि यह हिस्सेदारी न केवल बढ़ेगी, बल्कि भारत एपल की वैश्विक सप्लाई चेन का एक अनिवार्य और अटूट हिस्सा बन जाएगा। सबीह खान का मुरादाबाद से एपल के सीओओ बनने का सफर सिर्फ एक व्यक्ति की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह ‘मेड इन इंडिया’ के सपने और भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत की भी कहानी है।

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