सालों का इंतजार, महीनों की अटकलें और सरकार के साथ एक लंबी खींचतान के बाद, आखिरकार वो दिन आ ही गया है जिसका भारत के ऑटोमोबाइल प्रेमियों को बेसब्री से इंतजार था। Elon Musk की क्रांतिकारी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला इंडिया (Tesla India) में अपनी आधिकारिक शुरुआत कर चुकी है। मंगलवार को कंपनी ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में अपना पहला शानदार शोरूम खोलकर भारतीय बाजार में अपने सफर का आगाज किया।
यह सिर्फ एक कार कंपनी का लॉन्च नहीं है, बल्कि यह भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में एक नए और प्रीमियम इलेक्ट्रिक युग की शुरुआत है। घटती बिक्री और वैश्विक चुनौतियों से जूझ रही Tesla के लिए भारत एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण बाजार है। वहीं, भारत के लिए Tesla का आना इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) इकोसिस्टम को एक नई दिशा दे सकता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल जो हर किसी के मन में है, वह है कीमत। क्या आम भारतीय Tesla खरीद पाएगा? भारत में इसकी कीमत इतनी ज्यादा क्यों है? और इसका मुकाबला किससे होगा? आइए, Tesla India से जुड़े हर अहम सवाल का जवाब जानते हैं।
कितनी होगी कार की कीमत? और कब मिलेगी डिलीवरी?
Tesla ने भारतीय बाजार में अपनी सबसे लोकप्रिय इलेक्ट्रिक SUV, मॉडल Y (Model Y) के साथ कदम रखा है। कंपनी ने इसकी कीमतों का भी ऐलान कर दिया है, जो प्रीमियम सेगमेंट को टारगेट करती हैं।
- Model Y (रियर-व्हील ड्राइव): शुरुआती कीमत लगभग ₹60 लाख।
- Model Y (लॉन्ग-रेंज रियर-व्हील ड्राइव): कीमत लगभग ₹68 लाख।
ग्राहक Tesla की आधिकारिक वेबसाइट के जरिए इन कारों की बुकिंग करा सकते हैं। कंपनी के अनुसार, इन कारों की डिलीवरी इस वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही, यानी अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच शुरू होने की संभावना है।
‘फुल सेल्फ-ड्राइविंग’ का अतिरिक्त खर्च
Tesla अपनी सबसे चर्चित ‘फुल सेल्फ-ड्राइविंग’ (FSD) सुविधा के लिए अतिरिक्त ₹6 लाख चार्ज करेगी। कंपनी का वादा है कि भविष्य में सॉफ्टवेयर अपडेट्स के जरिए यह गाड़ी न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ खुद चलने में सक्षम हो जाएगी।
सबसे बड़ा सवाल: भारत में Tesla इतनी महंगी क्यों है?
यह वो सवाल है जो हर किसी को हैरान कर रहा है। जिस मॉडल Y की कीमत भारत में 60 लाख रुपये है, उसी मॉडल की कीमत अमेरिका में लगभग 39 लाख, चीन में 32 लाख और जर्मनी में करीब 39.50 लाख रुपये है। तो फिर भारत में यह इतनी महंगी क्यों है?
इसका सीधा और एकमात्र जवाब है – भारत का भारी-भरकम आयात शुल्क (Import Duty)।
- 100% टैरिफ का बोझ: Tesla शुरुआत में जो कारें भारत में बेच रही है, वे पूरी तरह से विदेश में बनी हैं और उन्हें सीधे भारत में आयात किया जा रहा है। इन पर लगभग 100% का टैरिफ लगता है, जिसमें 70% का आयात शुल्क और लगभग 30% का लग्जरी टैक्स शामिल है।
- Tesla की मजबूरी: इसी ऊंचे टैक्स की वजह से Tesla को भारत में अपनी गाड़ियों की कीमतें इतनी ज्यादा रखनी पड़ी हैं। कंपनी के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर, वैभव तनेजा ने पहले ही साफ कर दिया था कि भारत में ऊंचे टैरिफ के कारण कंपनी बहुत सोच-समझकर कदम उठाएगी।
एलन मस्क लंबे समय से भारत सरकार से इस टैरिफ को कम करने की गुजारिश करते रहे हैं, लेकिन सरकार ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए अपनी नीति पर कायम है।
किससे होगा Tesla का मुकाबला? Tata Mahindra या BMW Mercedes-Benz?
₹60 लाख की शुरुआती कीमत के साथ, यह साफ है कि Tesla India का मुकाबला टाटा मोटर्स या महिंद्रा जैसी घरेलू इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनियों से बिल्कुल नहीं होगा।
- टारगेट ऑडियंस: Tesla भारत में इलेक्ट्रिक कारों के एक बहुत ही छोटे और प्रीमियम ग्रुप को टारगेट कर रही है, जो भारत के कुल ऑटोमोबाइल मार्केट का सिर्फ 4 प्रतिशत है।
- असली टक्कर: इसका सीधा मुकाबला बीएमडब्ल्यू (BMW), मर्सिडीज-बेंज़ (Mercedes-Benz), ऑडी (Audi) और वोल्वो (Volvo) जैसी लक्जरी कार कंपनियों की इलेक्ट्रिक कारों से होगा।
एक ग्लोबल मोबिलिटी एक्सपर्ट, विवेक वैद्य के अनुसार, “सवाल यह है कि क्या Tesla मास मार्केट को प्रभावित करेगी? इसका जवाब है नहीं, क्योंकि जो सबसे ज्यादा बिकने वाली गाड़ियां हैं, उनकी कीमत शायद इस कीमत के दसवें हिस्से के बराबर हैं।” हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि “भारत में हर प्राइस पॉइंट पर खरीदार मिल जाते हैं।“
लॉन्च इवेंट की झलकियां और भविष्य की उम्मीदें
मंगलवार को मुंबई में Tesla के शोरूम के उद्घाटन के मौके पर मीडिया की भारी भीड़ थी। इस लॉन्च इवेंट में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी पहुंचे, जो इस लॉन्च के महत्व को दर्शाता है।
- देवेंद्र फडणवीस का बयान: उन्होंने कहा, “भविष्य में हम भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग की उम्मीद करते हैं, और मुझे पूरा विश्वास है कि सही समय पर Tesla इसके बारे में जरूर सोचेगी।”
- आनंद महिंद्रा का स्वागत: महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने भी इस प्रतिस्पर्धा का सकारात्मक रूप से स्वागत किया। उन्होंने X पर लिखा, “एलन मस्क और टेस्ला भारत में आपका स्वागत है… प्रतिस्पर्धा इनोवेशन को जन्म देती है… चार्जिंग स्टेशन पर मुलाकात का इंतजार रहेगा।”
हालांकि, एक दिलचस्प बात यह है कि मुंबई में प्रदर्शित की गई कारें चीन में बनी हैं और वे फैक्ट्रियां भारत के लिए जरूरी राइट-हैंड ड्राइव गाड़ियां नहीं बनाती हैं। यह देखना होगा कि डिलीवरी के समय कंपनी यह लॉजिस्टिकल चुनौती कैसे पूरी करती है।
दो साल पहले दिवालिया होने की कगार पर थी Tesla
आज भले ही Tesla India में एक बड़ी ताकत के रूप में प्रवेश कर रही है, लेकिन कुछ साल पहले ऐसा नहीं था। 2018 में, जब कंपनी अपनी सस्ती इलेक्ट्रिक कार, मॉडल 3 का उत्पादन बढ़ा रही थी, तो वह दिवालिया होने की कगार पर थी। एलन मस्क खुद दिन में 22-22 घंटे फैक्ट्री में गुजार रहे थे। लेकिन सिर्फ दो साल में हालात बदले और 2020 तक कंपनी लगातार मुनाफा कमाने लगी। 2021 में, इसका बाजार मूल्य 1.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया और यह दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनी बन गई।
Tesla का भारत में आना सिर्फ एक बिजनेस की शुरुआत नहीं है, बल्कि यह धैर्य, दृढ़ता और एक क्रांतिकारी सोच की कहानी है। अब देखना यह है कि क्या भारतीय ग्राहक इस महंगी लेकिन भविष्य की कार को अपनाते हैं, और क्या यह भारत में एक स्थायी इलेक्ट्रिक क्रांति की शुरुआत कर पाएगी।