क्या आप जानते हैं कि धरती पर एक ऐसा देश भी है जहां की लगभग आधी आबादी भारतीय मूल की है? जी हां, भारत से 14,000 किलोमीटर दूर कैरिबियाई देश त्रिनिदाद और टोबैगो में करीब 42% लोग भारतीय विरासत से जुड़े हैं। हाल ही में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां पहुंचे तो यह यात्रा सिर्फ एक औपचारिक दौरा नहीं, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव की मिसाल बन गई।
पीएम मोदी का त्रिनिदाद और टोबैगो दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच देशों की विदेश यात्रा पर हैं, और इस दौरे में त्रिनिदाद और टोबैगो भी शामिल है। गुरुवार देर रात वह इस देश की राजधानी पोर्ट ऑफ़ स्पेन पहुंचे, जहां पारंपरिक भोजपुरी चौताल गाकर उनका स्वागत किया गया। इस स्वागत से गदगद होकर पीएम मोदी ने ‘X’ पर भोजपुरी में लिखा, “एगो अनमोल सांस्कृतिक जुड़ाव!”
सांस्कृतिक रिश्तों का ज़िक्र
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर अपने संबोधन में त्रिनिदाद की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर का उल्लेख करते हुए बताया कि उनके पूर्वज बिहार के बक्सर से थे। मोदी जी ने कहा कि बक्सर में लोग उन्हें ‘बिहार की बेटी’ मानते हैं। उन्होंने क्रिकेट का ज़िक्र करते हुए कहा, “जब मैं 25 साल पहले यहां आया था, तब हम सभी ब्रायन लारा के कवर ड्राइव के दीवाने थे। आज वही दीवानगी सुनील नरेन और निकोलस पूरन के लिए देखी जाती है।”
गिरमिटिया इतिहास: भारतीयों की त्रिनिदाद तक की यात्रा
त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय उपस्थिति की जड़ें 19वीं सदी के गिरमिटिया व्यवस्था में हैं।
कैसे पहुंचे भारतीय त्रिनिदाद?
सन् 1845 से 1917 के बीच लगभग 1.43 लाख भारतीयों को ब्रिटिश शासन के अंतर्गत मजदूरी के लिए वहां भेजा गया।
- अधिकतर प्रवासी उत्तर प्रदेश और बिहार से थे।
- उन्हें ‘गिरमिट’ यानी Agreement के आधार पर 3 से 5 साल के लिए खेती या मजदूरी में लगाया जाता था।
- ज्यादातर मजदूर वापस नहीं लौटे और यहीं बस गए।
आज भी जीवित है पूर्वजों की पहचान
आज त्रिनिदाद में भोजपुरी भाषा और भारतीय रीति-रिवाजों का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। गिरमिटिया वंशज आज भी अपने प्रदेश, ज़िला और गांव की पहचान बनाए रखते हैं।
भारतीय समुदाय की उन्नति और योगदान
त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय मूल के लोगों ने सिर्फ मजदूरी तक खुद को सीमित नहीं रखा। समय के साथ उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई:
- राजनीति में कमला बिसेसर जैसी महिला प्रधानमंत्री।
- चिकित्सा, शिक्षा, और बिज़नेस में व्यापक योगदान।
- क्रिकेट में सुनील नरेन और दिनेश रामदीन जैसे सितारे।

पीएम मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री ने गर्व से कहा, “आप, गिरमिटिया के बच्चे, अब संघर्ष से नहीं, सफलता और सेवा से परिभाषित होते हैं।” उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में जोड़ा, “डबल्स और दाल पूरी में कुछ तो जादू है, जिसने इस देश की सफलता को दोगुना कर दिया है।”
त्रिनिदाद और टोबैगो: एक परिचय
भौगोलिक स्थिति
त्रिनिदाद और टोबैगो दो मुख्य द्वीपों का एक देश है, जो वेस्टइंडीज़ के दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
- राजधानी: पोर्ट ऑफ़ स्पेन
- 1962 में ब्रिटिश उपनिवेश से आज़ादी मिली
- 1976 में बना गणराज्य
आर्थिक स्थिति
यह देश कैरिबियन क्षेत्र के सबसे समृद्ध देशों में से एक है, क्योंकि:
- यहां तेल और गैस के विशाल भंडार हैं
- औसत प्रति व्यक्ति आय लातिन अमेरिका से अधिक है
हालांकि, तेल की कीमतों में गिरावट के कारण 1980 और 1990 के दशक में आर्थिक संकट भी आया, जिससे बेरोज़गारी और कर्ज़ की समस्या बढ़ी।
सामाजिक चुनौतियाँ
- ड्रग्स और गैंग हिंसा यहां की प्रमुख समस्या बन चुकी है
- यह पर्यटन उद्योग के लिए चुनौती बन रही है
भारत-त्रिनिदाद संबंध: भविष्य की दिशा
भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो के रिश्ते सिर्फ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नहीं रह गए हैं, बल्कि अब ये रणनीतिक और आर्थिक सहयोग की ओर भी बढ़ रहे हैं।
- भारतीय समुदाय का स्थानीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में योगदान
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों और भाषा (भोजपुरी) के माध्यम से जुड़ाव
- विदेश मंत्रालय और पीएमओ के माध्यम से लगातार संवाद और सहयोग
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी की त्रिनिदाद यात्रा केवल औपचारिक राजनयिक दौरा नहीं था, यह एक भावनात्मक पुनर्मिलन था – उन भारतीयों से, जिनकी जड़ें यहीं भारत की मिट्टी में हैं। गिरमिटिया इतिहास अब सिर्फ पीड़ा की कहानी नहीं, बल्कि सफलता, संघर्ष और संस्कृति की प्रेरणादायक गाथा बन चुकी है।
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