दो देशों की दोस्ती और दशकों पुराने व्यापारिक संबंधों पर एक बड़ा बवंडर मंडरा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी “अमेरिका फर्स्ट” नीति का सबसे आक्रामक रूप दिखाते हुए अपने सबसे करीबी पड़ोसी और सहयोगी, कनाडा के खिलाफ एक बड़े व्यापारिक युद्ध का ऐलान कर दिया है। गुरुवार, 10 जुलाई को वॉशिंगटन से जारी एक बयान में, ट्रंप ने कनाडा से आने वाले सभी सामानों पर 35% का भारी-भरकम टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो 1 अगस्त, 2025 से लागू होगा।
यह सिर्फ एक आर्थिक फैसला नहीं है, बल्कि एक सीधी और खुली चेतावनी है, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। ट्रंप ने साफ शब्दों में कनाडा की कार्नी सरकार को चेताया है कि अगर उसने इस कदम के जवाब में कोई भी जवाबी कार्रवाई करने की हिम्मत की, तो अमेरिकी टैरिफ को भी उतनी ही मात्रा में और बढ़ा दिया जाएगा। इस ऐलान के साथ ही अमेरिका-कनाडा ट्रेड वॉर का एक नया और खतरनाक अध्याय शुरू होने की आशंका गहरा गई है, जिसके झटके सिर्फ इन दो देशों तक ही सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि इसका असर पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
क्या है ट्रंप का ऐलान और क्यों है यह इतना बड़ा कदम?
डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला अचानक और अप्रत्याशित है। 35% का टैरिफ किसी भी देश के निर्यात के लिए एक बहुत बड़ा झटका होता है, खासकर तब जब आपका सबसे बड़ा खरीदार ही आप पर यह टैक्स लगा दे।
- कब से लागू होगा? यह टैरिफ 1 अगस्त, 2025 से अमेरिका में प्रवेश करने वाले सभी कनाडाई उत्पादों पर लागू होगा।
- क्यों है यह अभूतपूर्व? अमेरिका और कनाडा सिर्फ पड़ोसी नहीं हैं, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक हैं। उनकी अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे से इतनी गहराई से जुड़ी हुई हैं कि उन्हें अलग करना लगभग नामुमकिन है। दोनों देशों के बीच रोजाना अरबों डॉलर का व्यापार होता है। ऐसे में, एक-दूसरे पर इस तरह का भारी टैरिफ लगाना अपने ही आर्थिक पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।
ट्रंप ने अपने बयान में कहा है कि यह कदम कनाडा द्वारा की गई “जवाबी कार्रवाई और चल रही व्यापार बाधाओं” के जवाब में उठाया गया है। यह दर्शाता है कि पर्दे के पीछे दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर तनाव काफी समय से चल रहा था, जो अब खुलकर सामने आ गया है।
“जितना तुम बढ़ाओगे, उतना हम बढ़ाएंगे” – ट्रंप की सीधी चेतावनी
इस ऐलान का सबसे खतरनाक पहलू ट्रंप द्वारा दी गई चेतावनी है। उन्होंने साफ कर दिया है कि यह एकतरफा खेल नहीं होगा। उन्होंने कहा, “अगर कनाडा ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने का फैसला किया, तो अमेरिकी टैरिफ को भी उतनी ही मात्रा में और बढ़ा दिया जाएगा।”
यह एक क्लासिक ‘ट्रेड वॉर’ की भाषा है, जिसे ‘जैसे को तैसा’ (tit-for-tat) रणनीति कहा जाता है। इस चेतावनी के गहरे मायने हैं:
- कनाडा पर दबाव: यह सीधे तौर पर कनाडा की सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश है कि वह बिना किसी विरोध के इस टैरिफ को स्वीकार कर ले।
- बातचीत के दरवाजे बंद: इस तरह की खुली चेतावनी बातचीत और कूटनीति के रास्ते को कमजोर करती है और टकराव को बढ़ावा देती है।
- आर्थिक संप्रभुता को चुनौती: यह कनाडा की अपनी आर्थिक नीतियां तय करने की संप्रभुता को भी एक तरह से चुनौती है।
इस फैसले के पीछे की असली वजह क्या है?
हालांकि ट्रंप ने कनाडा की “व्यापार बाधाओं” का हवाला दिया है, लेकिन विशेषज्ञ इसके पीछे उनकी बड़ी राजनीतिक और आर्थिक रणनीति को देख रहे हैं।
- ‘अमेरिका फर्स्ट’ का एजेंडा: यह कदम ट्रंप की मूल विचारधारा “अमेरिका फर्स्ट” का एक प्रमुख उदाहरण है। उनका मानना है कि दशकों से दूसरे देशों ने व्यापार में अमेरिका का फायदा उठाया है, और अब समय आ गया है कि अमेरिकी उद्योगों और नौकरियों की रक्षा की जाए।
- घरेलू उद्योगों को बचाना: माना जा रहा है कि इस टैरिफ का मकसद कनाडा से आने वाले कुछ विशेष उत्पादों, जैसे लकड़ी, एल्यूमीनियम, स्टील और डेयरी उत्पादों से अमेरिकी उद्योगों को बचाना है। ट्रंप का तर्क है कि कनाडा के सस्ते उत्पाद अमेरिकी उत्पादकों के लिए एक अनुचित प्रतिस्पर्धा पैदा करते हैं।
- राजनीतिक संदेश: अमेरिका में चुनाव नजदीक हैं, और इस तरह के आक्रामक कदम उठाकर ट्रंप अपने वोट बैंक, खासकर उन औद्योगिक क्षेत्रों के श्रमिकों को यह संदेश देना चाहते हैं कि वह उनकी नौकरियों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, चाहे इसके लिए अपने सबसे करीबी सहयोगी से ही क्यों न भिड़ना पड़े।
किन-किन उद्योगों पर पड़ेगी सबसे ज्यादा मार?
35% के इस टैरिफ का असर कनाडा की पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, लेकिन कुछ उद्योग ऐसे हैं जो सीधे तौर पर तबाह हो सकते हैं।
- ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री: अमेरिका और कनाडा की ऑटो इंडस्ट्री एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई है। कार के पार्ट्स कई बार बॉर्डर के आर-पार जाते हैं, तब जाकर एक गाड़ी तैयार होती है। इस टैरिफ से पूरी सप्लाई चेन बाधित हो जाएगी, जिससे दोनों देशों में कारों की लागत बढ़ जाएगी।
- लकड़ी और निर्माण उद्योग: कनाडा अमेरिकी निर्माण उद्योग के लिए लकड़ी का एक बहुत बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इस टैरिफ से अमेरिका में घरों की लागत बढ़ सकती है।
- कृषि और डेयरी उत्पाद: कनाडा के कृषि उत्पादों पर भी इसका भारी असर पड़ेगा, जिससे कनाडाई किसानों को भारी नुकसान होगा।
कनाडा के सामने अब क्या हैं विकल्प? एक मुश्किल चुनौती
डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम ने कनाडा की कार्नी सरकार को एक बेहद मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। अब उनके सामने कुछ ही विकल्प बचे हैं, और हर विकल्प के अपने जोखिम हैं।
- चुपचाप स्वीकार करना: कनाडा इस टैरिफ को चुपचाप स्वीकार कर सकता है ताकि एक बड़े ट्रेड वॉर से बचा जा सके। लेकिन, यह राजनीतिक रूप से एक कमजोर कदम माना जाएगा और इससे देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा।
- जवाबी कार्रवाई करना: कनाडा ट्रंप की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर भी भारी टैरिफ लगा सकता है। इससे अमेरिका-कनाडा ट्रेड वॉर पूरी तरह से शुरू हो जाएगा, जिसका असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी हो सकता है।
- बातचीत और कूटनीति: कनाडा विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठा सकता है और अन्य देशों के साथ मिलकर अमेरिका पर कूटनीतिक दबाव बना सकता है। लेकिन ट्रंप प्रशासन ने पहले भी ऐसे अंतरराष्ट्रीय नियमों की परवाह नहीं की है।
क्या यह एक नए वैश्विक ‘ट्रेड वॉर’ की शुरुआत है?
यह सवाल अब हर किसी के मन में है। एक ‘ट्रेड वॉर’ तब शुरू होता है जब एक देश टैरिफ लगाता है और दूसरा देश जवाबी कार्रवाई करता है, और यह चक्र चलता रहता है। ट्रंप ने पहला कदम उठा दिया है। अब पूरी दुनिया की निगाहें कनाडा पर टिकी हैं। अगर कनाडा जवाबी कार्रवाई करता है, तो यह दुनिया की दो सबसे बड़ी और एकीकृत अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक विनाशकारी व्यापार युद्ध की शुरुआत हो सकती है।
इसका असर वैश्विक सप्लाई चेन को बाधित करेगा, दुनिया भर में महंगाई बढ़ाएगा और वैश्विक आर्थिक विकास को पटरी से उतार सकता है। यह कदम एक ऐसे समय में आया है जब दुनिया पहले से ही कई भू-राजनीतिक तनावों से जूझ रही है। अमेरिका-कनाडा ट्रेड वॉर की यह नई चिंगारी पूरी दुनिया में एक नई आर्थिक आग लगा सकती है।