सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है, जो दुनिया भर में एक नए और अदृश्य संकट की ओर इशारा करती है। यह संकट है ‘अकेलापन’, जिसे अब एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा माना जा रहा है। WHO के अनुसार, अकेलेपन के कारण हर साल 8,71,000 से अधिक मौतें हो रही हैं, यानी हर घंटे लगभग 100 लोग इस खामोश किलर का शिकार हो रहे हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे एक मजबूत सामाजिक जीवन हमें स्वस्थ और लंबा जीवन दे सकता है, जबकि अकेलापन हमें धीरे-धीरे मौत की ओर धकेलता है।
चौंकाने वाले आँकड़े: समस्या कितनी गंभीर है?
अकेलेपन के प्रभाव को अक्सर मानसिक स्वास्थ्य तक सीमित मान लिया जाता है, लेकिन WHO के आंकड़े बताते हैं कि इसका असर हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी उतना ही विनाशकारी है। रिपोर्ट के मुताबिक, अकेलेपन से होने वाली मृत्यु का जोखिम धूम्रपान, शराब के अत्यधिक सेवन और मोटापे जैसी समस्याओं के बराबर या उससे भी ज़्यादा है। यह एक ऐसी खामोश महामारी है जो किसी भी उम्र, लिंग या देश के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है।
WHO के महानिदेशक, डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “आज के इस युग में जब जुड़ने की संभावनाएं अनंत हैं, तब भी अधिक से अधिक लोग खुद को अलग-थलग और अकेला पा रहे हैं।”
क्यों बढ़ रहा है अकेलापन? डिजिटल दुनिया भी एक बड़ी वजह
आज के दौर में हम टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया से घिरे हुए हैं, लेकिन इंसानी जुड़ाव कमजोर होता जा रहा है। WHO की रिपोर्ट में अकेलेपन और सामाजिक अलगाव के बढ़ने के पीछे कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया गया है:
- डिजिटल टेक्नोलॉजी का अत्यधिक उपयोग: रिपोर्ट में युवाओं के बीच अत्यधिक स्क्रीन टाइम और हानिकारक ऑनलाइन इंटरैक्शन पर चिंता जताई गई है, जिसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
- खराब स्वास्थ्य और कम आय: जो लोग पहले से ही किसी बीमारी से जूझ रहे हैं या आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उनमें अकेलेपन का खतरा अधिक होता है।
- अकेले रहना: शहरीकरण और बदलती जीवनशैली के कारण अकेले रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है, जो सामाजिक अलगाव को जन्म देती है।
- सामाजिक बुनियादी ढांचे की कमी: पार्कों, सामुदायिक केंद्रों और सार्वजनिक स्थानों की कमी भी लोगों को एक-दूसरे से मिलने और जुड़ने से रोकती है।
WHO कमीशन ऑन सोशल कनेक्शन की सह-अध्यक्ष, चिडो मपेम्बा ने कहा, “एक डिजिटल रूप से जुड़ी दुनिया में भी, कई युवा अकेला महसूस करते हैं। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी हमारे जीवन को नया आकार दे रही है, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह मानवीय संबंधों को कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत करे।”
शरीर और दिमाग पर अकेलेपन का जानलेवा असर
अकेलापन सिर्फ एक भावनात्मक स्थिति नहीं है, बल्कि यह हमारे शरीर के लिए एक गंभीर खतरा है। जो लोग लंबे समय तक अकेलापन महसूस करते हैं, उनमें कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है:
- हृदय रोग और स्ट्रोक: अकेलेपन से स्ट्रोक और हृदय रोग का खतरा काफी बढ़ जाता है।
- मधुमेह (Diabetes): यह टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को भी बढ़ाता है।
- मानसिक स्वास्थ्य: अकेले लोगों में डिप्रेशन (अवसाद) होने की संभावना दोगुनी हो जाती है। इसके अलावा, उनमें चिंता और आत्महत्या के विचार भी बढ़ सकते हैं।
- संज्ञानात्मक गिरावट: लंबे समय तक अकेलापन दिमाग की कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है, जिससे याददाश्त कमजोर हो सकती है।
सामाजिक जुड़ाव: लंबी और स्वस्थ ज़िंदगी की कुंजी
रिपोर्ट का दूसरा पहलू उम्मीद की किरण जगाता है। जो लोग सामाजिक रूप से जुड़े होते हैं, उनका जीवन न केवल लंबा होता है, बल्कि स्वस्थ भी रहता है। मजबूत सामाजिक संबंधों के कई फायदे हैं:
- यह शरीर में सूजन (inflammation) को कम करता है।
- यह गंभीर बीमारियों के खतरे को कम करता है।
- यह मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और तनाव से लड़ने में मदद करता है।
- यह जीवन प्रत्याशा (longevity) को बढ़ाता है।
WHO का एक्शन प्लान: अब आगे क्या?
इस वैश्विक संकट से निपटने के लिए, WHO ने एक रोडमैप तैयार किया है जो पांच प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है:
- नीति (Policy): सरकारों को सामाजिक जुड़ाव को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता बनाना होगा।
- अनुसंधान (Research): अकेलेपन के कारणों और प्रभावों पर और अधिक शोध की आवश्यकता है।
- हस्तक्षेप (Interventions): स्कूलों, कार्यस्थलों और समुदायों में सामाजिक जुड़ाव को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम लागू करना।
- बेहतर माप (Improved Measurement): अकेलेपन के स्तर को सटीक रूप से मापने के लिए बेहतर उपकरण विकसित करना।
- सार्वजनिक भागीदारी (Public Engagement): सामाजिक जुड़ाव के लिए एक आंदोलन बनाने के लिए जनता को शामिल करना।
निष्कर्ष: साथ आएं, अकेलेपन को हराएं
WHO की यह रिपोर्ट एक चेतावनी है कि हमें अकेलेपन को एक व्यक्तिगत समस्या के रूप में देखना बंद करना होगा। यह एक सामाजिक और स्वास्थ्य संकट है जिसके लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। सरकारों, समुदायों और हम सभी को मिलकर एक ऐसा समाज बनाना होगा जहाँ हर कोई जुड़ा हुआ और मूल्यवान महसूस करे।
क्या आपने भी कभी अकेलेपन को महसूस किया है? इस गंभीर विषय पर आपकी क्या राय है? हमें नीचे कमेंट सेक्शन में अपनी प्रतिक्रिया जरूर बताएं।